अम्बे जगदम्बे आये तुम्हरी दुअरिया

अम्बे जगदम्बे आये तुम्हरी दुअरिया

(मुखड़ा)
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे,
काली महाकाली,
ले लो हमरी खबरिया,
दर से ना टालना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।

दोहा:
बाबा, बाबा सब कहें,
माई कहे ना कोय,
बाबा के दरबार में,
माई करे सो होय।।

(अंतरा)
महिषासुर, दानव बलशाली,
दुर्गा से बन गई,
अंबे माँ काली,
दुष्ट जनों को,
मैया ने मारा,
भक्तों को तारना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।

रण में चली माँ, लेके दुधारी,
लट बिखराए, करे,
सिंह सवारी,
शुंभ-निशुंभ जो,
लड़ने को आए,
रण में पछाड़ना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।

हाथों में खप्पर,
नैनों में ज्वाला,
पहने गले में,
मुँडों की माला,
क्रोध की अग्नि,
शीतल भई जब,
शिवजी का सामना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।

‘पदम’ है माँ के,
दर का भिखारी,
मैया, हरो हर,
विपदा हमारी,
करुणामयी माँ,
थोड़ी-सी ममता,
झोली में डालना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।

(पुनरावृत्ति)
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे,
काली महाकाली,
ले लो हमरी खबरिया,
दर से ना टालना रे,
ओ माता रानी,
अंबे, जगदंबे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।


ambe jagdambe aaye tumhri duariya, dar se na talna re !

 यह भजन माँ अंबे के अद्भुत स्वरूप और उनकी कृपा का गुणगान करता है। भक्त माँ से विनती करता है कि वे अपने दरबार से उसे खाली न लौटाएँ। माँ के शौर्य, महिषासुर वध, और भक्तों की रक्षा करने वाले उनके स्वरूपों का भजन में सुंदर वर्णन किया गया है।

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