श्री केदारनाथ जी की आरती
श्री केदारनाथ जी की आरती
केदारनाथ भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रसिद्ध मंदिर है। पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों के अनुसार, केदारनाथ मंदिर विभिन्न कहानियों से जुड़ा हुआ है। नर और नारायण-दो विष्णु के अवतारों ने भारत खंड के बद्रीकाश्रया में गंभीर तपस्या की, जो जमीन से निकले शिवलिंगम के सामने थी। उनकी भक्ति से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं केदारनाथ हिंदू चार धाम यात्रा (तीर्थयात्रा) और ऊंचाई वाले मंदिरों में से एक है। हालांकि इसे महाभारत के पांडवों द्वारा निर्मित माना जाता है।
रुद्रप्रयाग, गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित, ऋषिकेश से 221 किमी दूर, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है, केदारनाथ मंदिर 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चार स्थलों में से एक है जो बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ मिलकर छोटा चार धाम तीर्थयात्रा केंद्र बनाते हैं। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों, या पवित्र स्थलों में से एक है।
श्री केदार नाथ जी की आरती : Shri Kedar Nath Ji Ki Aarti
जय केदार उदार शंकर,मन भयंकर दुःख हरम |गौरी गणपति स्कन्द नन्दी,श्री केदार नमाम्यहम् |
शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम |
निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम |
उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम |
हंस कुण्ड समीप सुन्दर,जय केदार नमाम्यहम |
अन्नपूरणा सह अर्पणा, काल भैरव शोभितम |
पंच पाण्डव द्रोपदी सह,जय केदार नमाम्यहम |
शिव दिगम्बर भस्मधारी,अर्द्ध चन्द्र विभूषितम |
शीश गंगा कण्ठ फिणिपति,जय केदार नमाम्यहम |
कर त्रिशूल विशाल डमरू,ज्ञान गान विशारदम |
मझहेश्वर तुंग ईश्वर, रुद कल्प महेश्वरम |
पंच धन्य विशाल आलय,जय केदार नमाम्यहम |
नाथ पावन हे विशालम |पुण्यप्रद हर दर्शनम |
जय केदार उदार शंकर,पाप ताप नमाम्यहम ||
शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम |
निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम |
उदक कुण्ड है अधम पावन, रेतस कुण्ड मनोहरम |
हंस कुण्ड समीप सुन्दर,जय केदार नमाम्यहम |
अन्नपूरणा सह अर्पणा, काल भैरव शोभितम |
पंच पाण्डव द्रोपदी सह,जय केदार नमाम्यहम |
शिव दिगम्बर भस्मधारी,अर्द्ध चन्द्र विभूषितम |
शीश गंगा कण्ठ फिणिपति,जय केदार नमाम्यहम |
कर त्रिशूल विशाल डमरू,ज्ञान गान विशारदम |
मझहेश्वर तुंग ईश्वर, रुद कल्प महेश्वरम |
पंच धन्य विशाल आलय,जय केदार नमाम्यहम |
नाथ पावन हे विशालम |पुण्यप्रद हर दर्शनम |
जय केदार उदार शंकर,पाप ताप नमाम्यहम ||
सुन्दर भजन में श्रीकेदारनाथजी की दिव्य महिमा का उदगार है। हिमालय की शीतल गोद में स्थित यह पावन स्थल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करता है। श्रीकेदारनाथजी की आराधना में मन को निर्भयता प्राप्त होती है, और हर कष्ट स्वतः ही विलीन हो जाता है।
श्रीकेदारनाथजी की छवि करुणा और उदारता से परिपूर्ण है। उनके विशाल स्वरूप में दया का प्रवाह सहज ही अनुभव किया जाता है। गौरी, गणपति, स्कन्द और नंदी की दिव्य उपस्थिति से मंदिर की पवित्रता और शक्ति और अधिक प्रकट होती है। हिमालय के आंचल में स्थित यह पवित्र स्थान आत्मा को शांति प्रदान करता है।
मन्दाकिनी और सरस्वती के समीप स्थित इस सिद्ध स्थान पर स्नान और दर्शन से मन-पापों से मुक्त हो जाता है। जलकुंडों की शीतलता और दिव्यता आत्मा को निर्मल करने में सहायक होती है। अन्नपूर्णाजी की कृपा से भिक्षु, साधक और श्रद्धालु यहाँ तृप्ति का अनुभव करते हैं, और कालभैरवजी की उपस्थिति ऊर्जा और सुरक्षा का भाव जागृत करती है।
श्रीकेदारनाथजी की आराधना में ज्ञान, वैराग्य और परमार्थ की गूंज सुनाई देती है। त्रिशूल, डमरू और भस्म की छवि आध्यात्मिक साहस का प्रतीक है। गंगा का स्पर्श और कंठ में फणिपति का वास जीवन के उतार-चढ़ावों में धैर्य और विश्वास का संचार करता है। पंचपाण्डवों की उपस्थिति धर्म और कर्तव्य का स्मरण कराती है, जिससे जीवन में सत्कर्म का संकल्प दृढ़ होता है।
इस दिव्य आरती में श्रीकेदारनाथजी की स्तुति से पावनता का अनुभव होता है। दर्शन मात्र से जीवन में पुण्य का संचार होता है और पाप-ताप समाप्त हो जाते हैं। उनकी कृपा से हर मन शुद्ध, निर्विकार और शांत हो जाता है। श्रीकेदारनाथजी का स्मरण आत्मा को उन्नति और मोक्ष की राह पर अग्रसर करता है।
श्रीकेदारनाथजी की छवि करुणा और उदारता से परिपूर्ण है। उनके विशाल स्वरूप में दया का प्रवाह सहज ही अनुभव किया जाता है। गौरी, गणपति, स्कन्द और नंदी की दिव्य उपस्थिति से मंदिर की पवित्रता और शक्ति और अधिक प्रकट होती है। हिमालय के आंचल में स्थित यह पवित्र स्थान आत्मा को शांति प्रदान करता है।
मन्दाकिनी और सरस्वती के समीप स्थित इस सिद्ध स्थान पर स्नान और दर्शन से मन-पापों से मुक्त हो जाता है। जलकुंडों की शीतलता और दिव्यता आत्मा को निर्मल करने में सहायक होती है। अन्नपूर्णाजी की कृपा से भिक्षु, साधक और श्रद्धालु यहाँ तृप्ति का अनुभव करते हैं, और कालभैरवजी की उपस्थिति ऊर्जा और सुरक्षा का भाव जागृत करती है।
श्रीकेदारनाथजी की आराधना में ज्ञान, वैराग्य और परमार्थ की गूंज सुनाई देती है। त्रिशूल, डमरू और भस्म की छवि आध्यात्मिक साहस का प्रतीक है। गंगा का स्पर्श और कंठ में फणिपति का वास जीवन के उतार-चढ़ावों में धैर्य और विश्वास का संचार करता है। पंचपाण्डवों की उपस्थिति धर्म और कर्तव्य का स्मरण कराती है, जिससे जीवन में सत्कर्म का संकल्प दृढ़ होता है।
इस दिव्य आरती में श्रीकेदारनाथजी की स्तुति से पावनता का अनुभव होता है। दर्शन मात्र से जीवन में पुण्य का संचार होता है और पाप-ताप समाप्त हो जाते हैं। उनकी कृपा से हर मन शुद्ध, निर्विकार और शांत हो जाता है। श्रीकेदारनाथजी का स्मरण आत्मा को उन्नति और मोक्ष की राह पर अग्रसर करता है।
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