श्री खाटू श्याम जी की आरती

श्री खाटू श्याम जी की आरती

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे || ॐ
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े || ॐ
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले || ॐ
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे || ॐ
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
भक्त आरती गावे, जय - जयकार करे || ॐ
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, 
श्री श्याम - श्याम उचरे || ॐ
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत भक्त - जन, मनवांछित फल पावे || ॐ
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे || ॐ 
 


श्री श्याम बाबा को खाटू नरेश भी कहा जाता है और अपने भक्तों के हर दुःख दर्द दूर करते हैं। श्री श्याम बाबा सीकर जिले के खाटू नगर में विराजमान है। श्री खाटू श्याम बाबा को श्री कृष्ण जी से आशीर्वाद प्राप्त था की वे कलयुग में कृष्ण जी के अवतार के रूप में पूजे जाएंगे और इनकी शरण में आने वाले की हर पीड़ा को स्वंय भगवान् श्री कृष्ण हर लेंगे। श्री खाटू श्याम जी के मुख मंदिर के अलावा दर्शनीय स्थलों में श्री श्याम कुंड और श्याम बगीची भी हैं जो मंदिर परिसर के पास में ही स्थित हैं। 

श्याम बाबा का दिव्य स्वरूप भक्त के हृदय में अपार श्रद्धा और भाव भर देता है। उनके खाटू धाम में विराजमान होने का अर्थ केवल स्थानिक उपस्थिति नहीं, बल्कि अनंत कृपा का प्रवाह है। उनका अनुपम रूप भक्त को संसार की आसक्ति से मुक्त कर सच्चे प्रेम और आत्मसमर्पण की ओर ले जाता है। रत्नजड़ित सिंहासन और चंवर की छाया उनकी अपूर्व महिमा को दर्शाती है, जो भौतिक जगत से परे एक दिव्य सत्ता का प्रतीक है।

उनकी आरती के दौरान बजने वाले शंख, मृदंग और झांझ न केवल संगीत की ध्वनि हैं, बल्कि आत्मा की गूंज हैं जो ईश्वर के प्रति समर्पण का आह्वान करती हैं। दीपक की ज्योति प्रकट करती है कि भक्त का जीवन अज्ञान के अंधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाश में प्रवेश करता है। भक्तों द्वारा अर्पित मोदक, खीर, और चूरमा केवल भोग नहीं, बल्कि स्नेह का समर्पण है, जो बताता है कि प्रेम ही सच्ची सेवा है।

श्याम बाबा की भक्ति वह मार्ग है जो व्यक्ति को सांसारिक कष्टों से मुक्त करता है। जब हृदय उनकी स्मृति में मग्न होता है, तब मन के समस्त दुख विलीन हो जाते हैं। आरती का हर शब्द आत्मा की पुकार बनकर उनकी कृपा को आकर्षित करता है। जो उन्हें स्मरण करता है, वह सदा उनके आशीर्वाद से ओतप्रोत रहता है और अपने इच्छित फल प्राप्त करता है। यह भक्ति केवल मांगने तक सीमित नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम और समर्पण की अभिव्यक्ति है, जहां बाबा स्वयं अपने भक्तों के कार्य पूर्ण करने के लिए तत्पर रहते हैं। उनका स्मरण ही जीवन को पवित्रता, आनंद और समर्पण की अनुभूति से भर देता है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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