श्री राधे प्यारी का ब्रिज की दुलारी का भजन
श्री राधे प्यारी का ब्रिज की दुलारी का भजन
श्री राधे प्यारी का ब्रिज की दुलारी का,
उस बरसाने वाली का श्याम
उस बरसाने वाली का श्याम
दीवाना दीवाना दीवाना,
कदम के निचे बंसी बजाना,
बस मिलने का इक बहाना,
ऐसा जादू विषभानु दुलारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना..
जब मिलने को मन ललचाया,
तब छलिये ने स्वांग रचाया,
वेश दर आया वो मनहारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
जब जब शरद की पूनम आये,
मधुवन में वो रास रचाये,
हाथ थामे वो ललित किशोरी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
हरष तुम्हारे बिन ओ राधा
कदम के निचे बंसी बजाना,
बस मिलने का इक बहाना,
ऐसा जादू विषभानु दुलारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना..
जब मिलने को मन ललचाया,
तब छलिये ने स्वांग रचाया,
वेश दर आया वो मनहारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
जब जब शरद की पूनम आये,
मधुवन में वो रास रचाये,
हाथ थामे वो ललित किशोरी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
हरष तुम्हारे बिन ओ राधा
तेरा मुरली वाला आधा,
है चढ़ा तुझपे रंग गिरधारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
है चढ़ा तुझपे रंग गिरधारी का,
श्याम दीवाना दीवाना दीवाना,
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के राधाजी के प्रति अनन्य प्रेम और उनकी अद्भुत रासलीला का सार प्रस्तुत किया गया है। यह भाव बताता है कि श्रीकृष्णजी केवल ब्रज के नटखट गोपाल नहीं, बल्कि प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाने वाले दिव्य स्वरूप हैं।
श्रीकृष्णजी की बंसी केवल संगीत नहीं, बल्कि प्रेम का एक मधुर संवाद भी है, जिसके माध्यम से वे अपनी राधा को पुकारते हैं। यह अनुभूति बताती है कि उनकी बंसी की धुन केवल एक बहाना नहीं, बल्कि आत्मा को उनके प्रेम में रमाने का माध्यम है।
शरद पूर्णिमा की रात्रि में जब श्रीकृष्णजी रास रचाते हैं, तब सारा ब्रज उस दिव्य प्रेम में डूब जाता है। यह लीला न केवल नृत्य और माधुर्य का प्रदर्शन है, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन की सर्वोच्च अनुभूति भी है।
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |