श्याम सलोनी सूरत पे सिंगार बसंती भजन
श्याम सलोनी सूरत पे सिंगार बसंती भजन
श्यामा श्याम सलोनी सूरत पे सिंगार बसंती है,सिंगार बसंती है गले का हार बसंती है,
तन पर बाबा खूब सजा है चमक बसंती है,
गल मोतियन के हार पड़े है,चमक बसंती है,
श्यामा श्याम सलोनी सूरत ........
रतन जड़ित शिनगासन सोहे शान बसंती है,
सांचो नाम चुकावे बाबा दरवार बसंती है,
श्यामा श्याम सलोनी सूरत .......................
फागुन माह से सुनेहरी सुन्दर साज बसंती है
सब के रकसक प्रभु आप हो राग बसंती है,
श्यामा श्याम सलोनी सूरत ............
श्याम सुन्दर और युगल चरणों की मांग बसंती है,
मात्रिद पे दया श्याम की आज बसंती है
श्यामा श्याम सलोनी सूरत ...
श्याम सलोनी सूरत पे सिंगार बसंती है
श्यामा श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है।
सिंगार बसंती है …हो सिंगार बसंती है।
मोर मुकुट की लटक बसंती, चन्द्र कला की चटक बसंती,
मुख मुरली की मटक बंसती, सिर पे पेंच श्रवण कुंडल छबि लाल बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥१॥
माथे चन्दन लग्यो बसंती, कटि पीतांबर कस्यो बसंती,
मेरे मन मोहन बस्यो बसंती, गुंजा माल गले सोहे फूलन हार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥२॥
कनक कडुला हस्त बसंती, चले चाल अलमस्त बसंती,
पहर रहे सब वस्त्र बसंती, रुनक झुनक पग नूपुर की झनकार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥३॥
संग ग्वालन को टोल बसंती, बजे चंग ढफ ढोल बसंती,
बोल रहे है बोल बसंती, सब सखियन में राधे की सरकार बसंती है ।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥४॥
परम प्रेम परसाद बसंती, लगे चसीलो स्वाद बसंती,
ह्वे रही सब मरजाद बसंती, घासीराम नाम की झलमल झार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥५॥
सिंगार बसंती है …हो सिंगार बसंती है।
मोर मुकुट की लटक बसंती, चन्द्र कला की चटक बसंती,
मुख मुरली की मटक बंसती, सिर पे पेंच श्रवण कुंडल छबि लाल बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥१॥
माथे चन्दन लग्यो बसंती, कटि पीतांबर कस्यो बसंती,
मेरे मन मोहन बस्यो बसंती, गुंजा माल गले सोहे फूलन हार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥२॥
कनक कडुला हस्त बसंती, चले चाल अलमस्त बसंती,
पहर रहे सब वस्त्र बसंती, रुनक झुनक पग नूपुर की झनकार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥३॥
संग ग्वालन को टोल बसंती, बजे चंग ढफ ढोल बसंती,
बोल रहे है बोल बसंती, सब सखियन में राधे की सरकार बसंती है ।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत…॥४॥
परम प्रेम परसाद बसंती, लगे चसीलो स्वाद बसंती,
ह्वे रही सब मरजाद बसंती, घासीराम नाम की झलमल झार बसंती है।
श्यामा श्याम सलोनी सूरत..॥५॥
सुंदर भजन में श्याम की मनमोहक छवि और उनके बसंती सौंदर्य का गुणगान है। श्याम की सलोनी सूरत पर बसंती रंग का श्रृंगार ऐसा है, मानो सारी प्रकृति उनकी सुंदरता में रंग गई हो। उनके गले का हार, तन की चमक, सब कुछ बसंती रंग में डूबा हुआ है, जो मन को आनंद और शांति देता है। ये रंग सिर्फ़ बाहर का नहीं, बल्कि श्याम के प्रेम और कृपा का प्रतीक है, जो हर भक्त के दिल को रंग देता है।
श्याम का रूप ऐसा है कि मोतियों का हार और रत्नों से जड़ा सिंहासन उनकी शोभा को और बढ़ाता है। उनके दरबार में सच्चे नाम का जप हर दुख को दूर करता है। ये दरबार ऐसा है, जहाँ हर कोई अपनी अरज लेकर आता है और श्याम की कृपा से मन हल्का हो जाता है। उदाहरण के लिए, कोई परेशानी में घिरा व्यक्ति जब श्याम का नाम लेता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे सारी चिंताएँ बसंती रंग में घुल गईं।
फागुन का महीना, जब प्रकृति बसंती रंग में रंगती है, श्याम के सौंदर्य और राग को और गहरा करता है। वे सबके रक्षक हैं, जिनका राग बसंती है—यानी उनका प्रेम और करुणा हर किसी को बाँध लेती है। ये राग मन में उत्साह और भक्ति जगा देता है, जैसे फागुन की हवा में बसंत की खुशबू घुली हो।
श्याम और उनके युगल चरणों की महिमा भी इस भजन में झलकती है। उनकी दया मातृवत है, जो हर भक्त पर बरसती है। ये दया ऐसी है, जो मुश्किल वक्त में सहारा बनती है और मन को विश्वास देती है कि श्याम हमेशा साथ हैं। उनके चरणों की माँग और कृपा का बसंती रंग भक्त के जीवन को रंगीन और सार्थक बनाता है।
सुंदर भजन श्याम के बसंती सौंदर्य और कृपा का उद्गार है। उनकी सलोनी सूरत पर बसंती श्रृंगार ऐसा है, मानो प्रकृति उनकी सुंदरता में रंग गई। गले का हार, तन की चमक, सब बसंती रंग में डूबा है, जो मन को आनंद देता है। ये रंग श्याम के प्रेम का प्रतीक है, जो हर दिल को रंग देता है।
मोतियों का हार, रत्नों से जड़ा सिंहासन उनकी शोभा बढ़ाता है। उनके दरबार में सच्चा नाम जप हर दुख दूर करता है। कोई चिंता लिए वहाँ जाता है, तो मन हल्का हो जाता है, जैसे सारी परेशानियाँ बसंती रंग में घुल जाएँ। फागुन का बसंती साज और श्याम का राग मन में उत्साह जगाता है। वे सबके रक्षक हैं, जिनका प्रेम हर किसी को बाँधता है।
श्याम के युगल चरण और उनकी मातृवत दया भक्त के जीवन को रंगीन बनाती है। उनकी कृपा मुश्किल में सहारा देती है, मन को विश्वास दिलाती है कि श्याम हमेशा साथ हैं। ये बसंती रंग भक्ति और प्रेम का प्रतीक है, जो जीवन को सार्थक करता है।
श्याम का रूप ऐसा है कि मोतियों का हार और रत्नों से जड़ा सिंहासन उनकी शोभा को और बढ़ाता है। उनके दरबार में सच्चे नाम का जप हर दुख को दूर करता है। ये दरबार ऐसा है, जहाँ हर कोई अपनी अरज लेकर आता है और श्याम की कृपा से मन हल्का हो जाता है। उदाहरण के लिए, कोई परेशानी में घिरा व्यक्ति जब श्याम का नाम लेता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे सारी चिंताएँ बसंती रंग में घुल गईं।
फागुन का महीना, जब प्रकृति बसंती रंग में रंगती है, श्याम के सौंदर्य और राग को और गहरा करता है। वे सबके रक्षक हैं, जिनका राग बसंती है—यानी उनका प्रेम और करुणा हर किसी को बाँध लेती है। ये राग मन में उत्साह और भक्ति जगा देता है, जैसे फागुन की हवा में बसंत की खुशबू घुली हो।
श्याम और उनके युगल चरणों की महिमा भी इस भजन में झलकती है। उनकी दया मातृवत है, जो हर भक्त पर बरसती है। ये दया ऐसी है, जो मुश्किल वक्त में सहारा बनती है और मन को विश्वास देती है कि श्याम हमेशा साथ हैं। उनके चरणों की माँग और कृपा का बसंती रंग भक्त के जीवन को रंगीन और सार्थक बनाता है।
सुंदर भजन श्याम के बसंती सौंदर्य और कृपा का उद्गार है। उनकी सलोनी सूरत पर बसंती श्रृंगार ऐसा है, मानो प्रकृति उनकी सुंदरता में रंग गई। गले का हार, तन की चमक, सब बसंती रंग में डूबा है, जो मन को आनंद देता है। ये रंग श्याम के प्रेम का प्रतीक है, जो हर दिल को रंग देता है।
मोतियों का हार, रत्नों से जड़ा सिंहासन उनकी शोभा बढ़ाता है। उनके दरबार में सच्चा नाम जप हर दुख दूर करता है। कोई चिंता लिए वहाँ जाता है, तो मन हल्का हो जाता है, जैसे सारी परेशानियाँ बसंती रंग में घुल जाएँ। फागुन का बसंती साज और श्याम का राग मन में उत्साह जगाता है। वे सबके रक्षक हैं, जिनका प्रेम हर किसी को बाँधता है।
श्याम के युगल चरण और उनकी मातृवत दया भक्त के जीवन को रंगीन बनाती है। उनकी कृपा मुश्किल में सहारा देती है, मन को विश्वास दिलाती है कि श्याम हमेशा साथ हैं। ये बसंती रंग भक्ति और प्रेम का प्रतीक है, जो जीवन को सार्थक करता है।
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