श्याम बाबा इस फागण में भजन

श्याम बाबा इस फागण में मुझे दर पे बुला ले

श्याम बाबा इस फागण में मुझे दर पे भुला ले,
मैं दुनिया से हार गया,
मुझे दुनिया से क्या लेना मुझे तो तेरा दर भा गया,
श्याम बाबा इस फागण में मुझे दर पे बुला ले.

दर्द जुदाई का सह नहीं पाऊं,
बिन तेरे बाबा अब रह नहीं पाऊं,
दर्द जुदाई का सह नहीं पाऊं,
तेरे बिन बाबा अब रह न पाऊं,
बस इक तमना है दर्श तेरा पाऊं,
सारी दुनिया में बाबा तेरा ही तो रंग छा गया,
श्याम बाबा इस फागण में मुझे दर पे बुला ले.

तू चाहे तो राज करा दे
तू चाहे तो तख्तो ताज दिला दे,
कोई और नहीं श्याम इक तेरे सिवा मेरा ,
देखु जो अगर सपना पूरा करवा देना
हर रंग में है रंग बाबा तेरा,
अविनाश को तो तेरा रंग भा गया,
श्याम बाबा इस फागण में मुझे दर पे बुला ले.

सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति गहन भक्ति और खाटू के उनके दरबार में फागण के पावन अवसर पर बुलाए जाने की मार्मिक प्रार्थना व्यक्त है। भक्त संसार से हारकर, जुदाई के दर्द से व्याकुल होकर केवल श्याम बाबा के दर्शन की कामना करता है। उसका मन दुनिया के मोह से मुक्त होकर श्याम के दर की ओर खिंचता है, जहाँ उसे सच्चा सुख और शांति मिलती है। जैसे एक प्यासा जल के स्रोत की ओर दौड़ता है, वैसे ही भक्त फागण में बाबा के रंग में रंगने को आतुर है। यह उद्गार सिखाता है कि प्रभु का दर ही वह शरणस्थली है, जहाँ सारे दुख मिट जाते हैं।

श्रीकृष्णजी सर्वशक्तिमान हैं, जो चाहें तो राज-तख्त दे सकते हैं, पर भक्त को केवल उनकी कृपा और दर्शन चाहिए। वह श्याम को ही अपना सब कुछ मानता है, जिनका रंग सारी सृष्टि में छाया है। अविनाश जैसे भक्त का सपना केवल बाबा के चरणों में लीन होना है, और उनका रंग उसे जीवन का सबसे सुंदर रंग लगता है। जैसे होली का रंग हर कोने को रंग देता है, वैसे ही श्याम का प्रेम भक्त के हृदय को आनंद से भर देता है। यह भाव दर्शाता है कि सच्ची भक्ति में प्रभु का प्रेम ही सबसे बड़ा धन है, जो हर तमन्ना को पूरा करता है।

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