नजरिया उतार सखी लिरिक्स Najariya Utaar Sakhi Lyrics बृज गीत लिरिक्स हिन्दी

नजरिया उतार सखी लिरिक्स Najariya Utaar Sakhi Lyrics,  लोक गीत | बन्ना बन्नी गीत | बृज गीत लिरिक्स हिन्दी

 
नजरिया उतार सखी लिरिक्स Najariya Utaar Sakhi Lyrics बृज गीत लिरिक्स हिन्दी

नजरिया उतार सखी
मेरी बन्नी की, ....2
शीश बनी के झूमर सोहे,
कान बनी के झुमके सोहें
ज़ुल्फों पे घिरी अँधियारी
बदरिया कारी
बदरिया बरसे
बनी मेरी भीगे
बिजुरिया चमके,
सखी मेरी बरनी पे.
 
+

एक टिप्पणी भेजें