होली खेले नन्द कुमार भजन

होली खेले नन्द कुमार भजन

 
होली खेले नन्द कुमार लिरिक्स Holi Khele Nand Kumar Lyrics

बरसाने में शोर मच गयो,
होली खेले नन्द कुमार,
बृज में रंग बरसे
बृषभानु दुलारी के द्वार
बृज में रंग बरसे।

संग में लेके सखा उत्पाती,
जैसे बाबा को लेके बाराती,
पीले पोखर पे लिया घेरा डाल,
ब्रिज में रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार
बृज में रंग बरसे।

भाभी भाभी कह के बोले,
भोला बन कुंजन में डोले,
और घुंघटा देवे उतार,
ब्रिज में रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार
बृज में रंग बरसे।

भानु ललि सखियन से बोली,
छीन लो लकुटिया,
डालो लहंगा चोली,
बनाओ छलिये को नर से नार,
बृषभानु दुलारी के द्वार
बृज में रंग बरसे।

बली बली जाऊं, नवल रसियां पे,
बृज शर्मा के मन बसिया के,
चिर जीवो नन्द कुमार,
ब्रिज के रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार,
बृज में रंग बरसे।
बरसाने में शोर मच गयो,
होली खेले नन्द कुमार,
बृज में रंग बरसे
बृषभानु दुलारी के द्वार
बृज में रंग बरसे।


फाल्गुन स्पेशल | होली खेले नन्द कुमार | श्याम भजन | by Vivek Goel | Holi Bhajan | Audio

यह भजन कृष्ण के भक्तों द्वारा गाया जाता है। इस भजन में, भक्त कृष्ण के होली खेलने की रासलीला का वर्णन कर रहे हैं। भजन के पहले दो लाइन में, भक्त कहते हैं कि बरसाने में शोर मच गया है, क्योंकि कृष्ण होली खेलने के लिए आ गए हैं। भक्त कहते हैं कि कृष्ण के साथ उनके सखा भी हैं, जो उनके साथ होली खेलेंगे।
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