ॐ गुरवॆ नमः – हम गुरु को प्रणाम करते हैं। ॐ गुणाकराय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो गुणों के संचयक हैं।
ॐ गॊप्त्रॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो सृष्टि के रक्षक हैं। ॐ गॊचराय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो सभी प्राणियों के लिए सर्वव्यापी हैं। ॐ गॊपतिप्रियाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो अपने भक्तों के प्रिय हैं। ॐ गुणिनॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो गुणों से पूर्ण हैं। ॐ गुणवंतांश्रॆष्ठाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो सर्वश्रेष्ठ गुणों से संपन्न हैं। ॐ गुरूनां गुरवॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो सभी गुरुओं के गुरु हैं। ॐ अव्ययाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो अविनाशी हैं। ॐ जॆत्रॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो विजयी हैं। ॐ जयंताय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो विजय के प्रतीक हैं। ॐ जयदाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो विजय देने वाले हैं। ॐ जीवाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो जीवों के जीवनदाता हैं। ॐ अनंताय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो अनंत हैं। ॐ जयावहाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो विजय का मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं। ॐ अंगीरसाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो अंगीरा मुनि के रूप में प्रसिद्ध हैं। ॐ अध्वरासक्ताय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो यज्ञ के प्रेमी हैं। ॐ विविक्ताय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो एकांतप्रिय हैं। ॐ अध्वरकृतॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो यज्ञों का आयोजक हैं। ॐ पराय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो सर्वश्रेष्ठ हैं। ॐ वाचस्पतयॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो वाक्य के स्वामी हैं। ॐ वशिनॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो वशीकरण करने वाले हैं। ॐ वश्याय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो वशीकरण के पात्र हैं। ॐ वरिष्ठाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो श्रेष्ठतम हैं। ॐ वाग्विचक्षणाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो वाक्य के जानकार और कुशल हैं। ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो चित्त की शुद्धि करने वाले हैं। ॐ श्रीमतॆ नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो श्री के स्वामी हैं। ॐ चैत्राय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो चैत्र के माह में पूजे जाते हैं। ॐ चित्रशिखंडिजाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो चित्रकूट के शिखंडी हैं। ॐ बृहद्रथाय नमः – हम उन भगवान को प्रणाम करते हैं, जो विशाल और महान हैं।
बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली का महत्व बहुत गहरा और धार्मिक है। यह मंत्र बृहस्पति देवता की स्तुति और पूजा के रूप में है। बृहस्पति देवता को गुरु ग्रह के रूप में पूजा जाता है, और उन्हें ज्ञान, शिक्षा, तर्क, और आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस स्तोत्र का प्रत्येक नाम उनके अलग-अलग गुणों, शक्तियों और विशेषताओं का वर्णन करता है। बृहस्पति धर्म (न्याय और कर्तव्य) के रक्षक हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। वे मनुष्य को सही और गलत का भेद समझने की शक्ति प्रदान करते हैं।
बृहस्पत्यष्टोत्तरशतनामावलि (Brihaspatyashtottara Satanamavali) हिंदू धर्म में बृहस्पति देव (गुरु ग्रह) की स्तुति के लिए उनके 108 नामों का संग्रह है। यह पवित्र बृहस्पति (गुरु ग्रह) का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें देवताओं के गुरु और ज्ञान, बुद्धि, धर्म और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। बृहस्पति का धार्मिक महत्व अत्यंत महान है। बृहस्पति को ज्ञान, विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विद्यार्थी, शिक्षक और ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोग करते हैं। उनकी कृपा से मनुष्य को बुद्धि, तर्कशक्ति और नैतिकता प्राप्त होती है।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रहों में से एक माना जाता है। उन्हें "गुरु ग्रह" कहा जाता है, और यह माना जाता है कि उनकी स्थिति कुंडली में व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। बृहस्पति की शुभ स्थिति से व्यक्ति को समृद्धि, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।