राहु अष्टॊत्तर शतनामावली अर्थ महत्त्व

राहु अष्टॊत्तर शतनामावली

॥ राहु अष्टॊत्तर नामावलि ॥
ॐ राहवॆ नमः । ॐ सिंहिकॆयाय नमः ।
ॐ विधंतुदाय नमः । ॐ सुरशत्रवॆ नमः ।
ॐ तमसॆ नमः । ॐ फणिनॆ नमः ।
ॐ गार्ग्यानयाय नमः । ॐ सुरागवॆ नमः ।
ॐ नीलजीमूतसंकाशाय नमः । ॐ चतुर्भुजाय नमः ॥ १० ॥
ॐ खड्गखॆटकधारिणॆ नमः । ॐ वरदायकहस्ताय नमः ।
ॐ शूलायुधाय नमः । ॐ मॆघवर्णाय नमः ।
ॐ कृष्णध्वजपताकवतॆ नमः । ॐ दक्षिणाभिमुखरथाय नमः ।
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्रकराय नमः । ॐ शूर्पाकारसनस्थाय नमः ।
ॐ गॊमॆधाभरणप्रियाय नमः । ॐ माषप्रियाय नमः ॥ २० ॥
ॐ काश्यपर्षिनंदनाय नमः । ॐ भुजगॆश्वराय नमः ।
ॐ उल्कापातयित्रॆ नमः । ॐ शूलनिधिपाय नमः ।
ॐ कृष्णसर्पराज्ञॆ नमः । ॐ वृषत्पालाव्रतास्याय नमः ।
ॐ अर्धशरीराय नमः । ॐ जाड्यप्रदाय नमः ।
ॐ रवींदुभीकराय नमः । ॐ छायास्वरूपिणॆ नमः ॥ ३० ॥
ॐ कथिनांगकाय नमः । ॐ द्विषट्‌ चक्रछॆदकाय नमः ।
ॐ कराळास्याय नमः । ॐ भयंकराय नमः ।
ॐ क्रूरकर्मिणॆ नमः । ॐ तमॊरूपाय नमः ।
ॐ श्यामात्मनॆ नमः । ॐ नीललॊहिताय नमः ।
ॐ किरीटिनॆ नमः । ॐ नीलवसनाय नमः ॥ ४० ॥
ॐ शनिसामंतवर्त्मगाय नमः । ॐ चंडालवर्णाय नमः ।
ॐ आत्वर्क्ष्यभवाय नमः । ॐ मॆषभवाय नमः ।
ॐ शनिलत्पलदाय नमः । ॐ शूलाय नमः ।
ॐ अपसव्यगतयॆ नमः । ॐ उपरागकराय नमः ।
ॐ सूर्यॆंदुच्छविव्रातकराय नमः । ॐ नीलपुष्पविहाराय नमः ॥ ५० ॥
ॐ ग्रहश्रॆष्ठाय नमः । ॐ अष्टमग्रहाय नमः ।
ॐ कबंधमात्रदॆहाय नमः । ॐ यातुधानकुलॊद्भवाय नमः ।
ॐ गॊविंदवरपात्राय नमः । ॐ दॆवजातिप्रविष्ठकाय नमः ।
ॐ क्रूराय नमः । ॐ घॊराय नमः ।
ॐ शनॆर्मित्राय नमः । ॐ शुक्रमित्राय नमः ॥ ६० ॥
ॐ अगॊचराय नमः । ॐ मौनयॆ नमः ।
ॐ गंगास्नानयात्राय नमः । ॐ स्वगृहॆभूबलाढ्यकाय नमः ।
ॐ स्वगृहॆस्यबलहृतॆ नमः । ॐ मातामहकारकाय नमः ।
ॐ चंद्रायुतचंडालजन्मसूचकाय नमः । ॐ जन्मसिंहाय नमः ।
ॐ राज्यधात्रॆ नमः । ॐ महाकायाय नमः ॥ ७० ॥
ॐ जन्मकर्त्रॆ नमः । ॐ राज्यकर्त्रॆ नमः ।
ॐ मत्तकाज्ञानप्रदायिनॆ नमः । ॐ जन्मकन्याराज्यदायकाय नमः ।
ॐ जन्महानिदाय नमः । ॐ नवमॆपितृरॊगाय नमः ।
ॐ पंचमॆशॊकनायकाय नमः । ॐ द्यूनॆकळत्रहंत्रॆ नमः ।
ॐ सप्तमॆकलहप्रदायकाय नमः । ॐ षष्ठॆवित्तदात्रॆ नमः ॥ ८० ॥
ॐ चतुर्थॆवरदायकाय नमः । ॐ नवमॆपापदात्रॆ नमः ।
ॐ दशमॆशॊकदायकाय नमः । ॐ आदौयशःप्रदात्रॆ नमः ।
ॐ अंत्यवैर्यप्रदायकाय नमः । ॐ कलात्मनॆ नमः ।
ॐ गॊचराचराय नमः । ॐ धनॆककुत्प्रदायकाय नमः ।
ॐ पंचमॆदृषणाशृंगदायकाय नमः । ॐ स्वर्भानवॆ नमः ॥ ९० ॥
ॐ बलिनॆ नमः । ॐ महासौख्यप्रदायकाय नमः ।
ॐ चंद्रवैरिणॆ नमः । ॐ शाश्वताय नमः ।
ॐ सूर्यशतृवॆ नमः । ॐ पापग्रहाय नमः ।
ॐ शांभवाय नमः । ॐ पूज्यकाय नमः ।
ॐ पाठिनपूर्णदाय नमः । ॐ पैठीनसकुलॊद्भवाय नमः ॥ १०० ॥
ॐ भक्तरक्षाय नमः । ॐ राहुमूर्तयॆ नमः ।
ॐ सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः । ॐ दीर्घाय नमः ।
ॐ कृष्णाय नमः । ॐ अशिवणॆ नमः ।
ॐ विष्णुनॆत्रारयॆ नमः । ॐ दॆवाय नमः ।
ॐ दानवाय नमः ॥ १०९ ॥
॥ इति राहु अष्टॊत्तर शतनामावळि संपूर्णम्‌ ॥


राहु अष्टॊत्तर शतनामावली अर्थ महत्त्व

ॐ राहवे नमः – राहु को नमस्कार।
ॐ सिंहिकेयाय नमः – सिंहिका के पुत्र।
ॐ विधंतुदाय नमः – वेदों को विदीर्ण करने वाले।
ॐ सुरशत्रवे नमः – देवताओं के शत्रु।
ॐ तमसे नमः – अंधकार स्वरूप।
ॐ फणिने नमः – सर्प रूपी।
ॐ गार्ग्यानयाय नमः – गार्ग्य ऋषि के वंशज।
ॐ सुरागवे नमः – देवताओं के बीच चलने वाले।
ॐ नीलजीमूतसंकाशाय नमः – नीले मेघ के समान वर्ण वाले।
ॐ चतुर्भुजाय नमः – चार भुजाओं वाले।
ॐ खड्गखेटकधारिणे नमः – तलवार और ढाल धारण करने वाले।
ॐ वरदायकहस्ताय नमः – वरदान देने वाले हाथों वाले।
ॐ शूलायुधाय नमः – त्रिशूल धारण करने वाले।
ॐ मेघवर्णाय नमः – बादलों के समान रंग वाले।
ॐ कृष्णध्वजपताकवते नमः – काले ध्वज वाले।
ॐ दक्षिणाभिमुखरथाय नमः – दक्षिण दिशा की ओर रथ वाले।
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्रकराय नमः – तीखे दाँतों वाले।
ॐ शूर्पाकारसनस्थाय नमः – सूप के आकार के आसन पर विराजमान।
ॐ गोमेदाभरणप्रियाय नमः – गोमेद रत्न प्रिय।
ॐ माषप्रियाय नमः – उड़द दाल प्रिय।
ॐ काश्यपर्षिनंदनाय नमः – कश्यप ऋषि के पुत्र।
ॐ भुजगेश्वराय नमः – सर्पों के स्वामी।
ॐ उल्कापातयित्रे नमः – उल्का गिराने वाले।
ॐ शूलनिधिपाय नमः – त्रिशूल के भंडार वाले।
ॐ कृष्णसर्पराज्ञे नमः – काले सर्पों के राजा।
ॐ वृषत्पालाव्रतास्याय नमः – वृषभ (बैल) के पालक।
ॐ अर्धशरीराय नमः – आधा शरीर वाले।
ॐ जाड्यप्रदाय नमः – जड़ता देने वाले।
ॐ रवींदुभीकराय नमः – सूर्य-चंद्र को डराने वाले।
ॐ छायास्वरूपिणे नमः – छाया स्वरूप।
ॐ कथिनांगकाय नमः – कठोर अंगों वाले।
ॐ द्विषट्‌चक्रछेदकाय नमः – दो चक्रों को काटने वाले।
ॐ कराळास्याय नमः – भयानक मुख वाले।
ॐ भयंकराय नमः – डरावने।
ॐ क्रूरकर्मिणे नमः – कठोर कर्म करने वाले।
ॐ तमोरूपाय नमः – अंधकार स्वरूप।
ॐ श्यामात्मने नमः – श्याम (काले) रंग के।
ॐ नीललोहिताय नमः – नीले और लाल रंग के।
ॐ किरीटिने नमः – मुकुट धारण करने वाले।
ॐ नीलवसनाय नमः – नीले वस्त्र पहनने वाले।
ॐ शनिसामंतवर्त्मगाय नमः – शनि के समान मार्ग वाले।
ॐ चंडालवर्णाय नमः – चांडाल (अछूत) वर्ण के।
ॐ आत्वर्क्ष्यभवाय नमः – आत्मा से उत्पन्न।
ॐ मेषभवाय नमः – मेष (मेष राशि) में उत्पन्न।
ॐ शनिलत्पलदाय नमः – शनि के समान फल देने वाले।
ॐ शूलाय नमः – त्रिशूल धारण करने वाले।
ॐ अपसव्यगतये नमः – वाम मार्गी।
ॐ उपरागकराय नमः – ग्रहण करने वाले।
ॐ सूर्येंदुच्छविव्रातकराय नमः – सूर्य-चंद्र की छाया डालने वाले।
ॐ नीलपुष्पविहाराय नमः – नीले फूलों में विहार करने वाले।
ॐ ग्रहश्रेष्ठाय नमः – ग्रहों में श्रेष्ठ।
ॐ अष्टमग्रहाय नमः – आठवें ग्रह।
ॐ कबंधमात्रदेहाय नमः – केवल धड़ वाले।
ॐ यातुधानकुलोद्भवाय नमः – दैत्य कुल में उत्पन्न।
ॐ गोविंदवरपात्राय नमः – गोविंद (विष्णु) से वर प्राप्त करने वाले।
ॐ देवजातिप्रविष्ठकाय नमः – देव जाति में प्रवेश करने वाले।
ॐ क्रूराय नमः – क्रूर स्वभाव के।
ॐ घोराय नमः – अत्यंत भयानक।
ॐ शनैर्मित्राय नमः – शनि के मित्र।
ॐ शुक्रमित्राय नमः – शुक्र के मित्र।
ॐ अगोचराय नमः – अदृश्य।
ॐ मौनये नमः – मौन रहने वाले।
ॐ गंगास्नानयात्राय नमः – गंगा स्नान करने वाले।
ॐ स्वगृहे भूबलाढ्यकाय नमः – अपने घर में बलशाली।
ॐ स्वगृहे स्यबलहृते नमः – अपने घर में बल को हरने वाले।
ॐ मातामहकारकाय नमः – नाना के लिए कारक।
ॐ चंद्रायुत चंडाल जन्मसूचकाय नमः – चंद्र के साथ चांडाल योग देने वाले।
ॐ जन्मसिंहाय नमः – सिंह लग्न में जन्म।
ॐ राज्यधात्रे नमः – राज्य देने वाले।
ॐ महाकायाय नमः – विशाल शरीर वाले।
ॐ जन्मकर्त्रे नमः – जन्म देने वाले।
ॐ राज्यकर्त्रे नमः – राज्य देने वाले।
ॐ मत्तकाज्ञानप्रदायिने नमः – पागलपन और अज्ञान देने वाले।
ॐ जन्मकन्याराज्यदायकाय नमः – कन्या लग्न में राज्य देने वाले।
ॐ जन्महानिदाय नमः – जन्म में हानि देने वाले।
ॐ नवमे पितृरोगाय नमः – नवम भाव में पितृ दोष देने वाले।
ॐ पंचमेशोकनायकाय नमः – पंचम भाव में शोक देने वाले।
ॐ द्यूनैकलत्रहंत्रे नमः – द्वितीय भाव में पत्नी की हानि देने वाले।
ॐ सप्तमेकलहप्रदायकाय नमः – सप्तम भाव में कलह देने वाले।
ॐ षष्ठे वित्तदात्रे नमः – षष्ठ भाव में धन देने वाले।
ॐ चतुर्थे वरदायकाय नमः – चतुर्थ भाव में वर देने वाले।
ॐ नवमे पापदात्रे नमः – नवम भाव में पाप देने वाले।
ॐ दशमेशोकदायकाय नमः – दशम भाव में शोक देने वाले।
ॐ आदौ यशःप्रदात्रे नमः – प्रारंभ में यश देने वाले।
ॐ अंत्यवैर्यप्रदायकाय नमः – अंत में शत्रुता देने वाले।
ॐ कलात्मने नमः – कलियुग के स्वामी।
ॐ गोचराचाराय नमः – गोचर में चलने वाले।
ॐ धनैककुत्प्रदायकाय नमः – धन देने वाले।
ॐ पंचमेदृषणाशृंगदायकाय नमः – पंचम भाव में दृष्टि का शृंग देने वाले।
ॐ स्वर्भानवे नमः – स्वर्भानु (राहु का अन्य नाम)।
ॐ बलिने नमः – शक्तिशाली।
ॐ महासौख्यप्रदायकाय नमः – महान सुख देने वाले।
ॐ चंद्रवैरिणे नमः – चंद्रमा के शत्रु।
ॐ शाश्वताय नमः – शाश्वत, सदा रहने वाले।
ॐ सूर्यशत्रवे नमः – सूर्य के शत्रु।
ॐ पापग्रहाय नमः – पाप ग्रह।
ॐ शांभवाय नमः – शिव के वंशज।
ॐ पूज्यकाय नमः – पूजनीय।
ॐ पाठिनपूर्णदाय नमः – पाठ से पूर्णता देने वाले।
ॐ पैठीनसकुलोद्भवाय नमः – पैठीनस कुल में उत्पन्न।
ॐ भक्तरक्षाय नमः – भक्तों की रक्षा करने वाले।
ॐ राहुमूर्तये नमः – राहु स्वरूप।
ॐ सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः – सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले।
ॐ दीर्घाय नमः – दीर्घ (लंबे)।
ॐ कृष्णाय नमः – काले रंग के।
ॐ अशिवणे नमः – अशुभ।
ॐ विष्णुनेत्रारये नमः – विष्णु की दृष्टि के शत्रु।
ॐ देवाय नमः – देवता।
ॐ दानवाय नमः – दैत्य।

अर्थ और उनका महत्व 

राहु के प्रत्येक नाम का अर्थ उसके स्वरूप, गुण, शक्ति और ज्योतिषीय प्रभावों से जुड़ा है। राहु को हिन्दू ज्योतिष में छाया ग्रह कहा गया है, जो सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण करता है और जीवन में अचानक परिवर्तन, भ्रम, रहस्य, छल, विदेशी संबंध, अप्रत्याशित सफलता या विघ्न, और भौतिक आकर्षण का प्रतीक है। उसके नामों में उसका सांप स्वरूप, अर्धशरीर, अंधकार, भय, क्रूरता, शक्ति, रहस्य, और ग्रहणकर्ता के रूप का उल्लेख मिलता है।

राहु के नाम उसके रहस्यमय, छाया, नाग स्वरूप, अर्धशरीर, शक्ति, भय, भ्रम, छल, विदेश, अप्रत्याशित लाभ, और बाधाओं के प्रतीक हैं। राहु का जप जीवन में अचानक आने वाली बाधाएँ, भ्रम, मानसिक अशांति, कोर्ट-कचहरी, शत्रु, दुर्घटनाएँ, कालसर्प दोष, और ग्रहण के दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है। राहु की सकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति को अनूठे क्षेत्रों में सफलता, प्रसिद्धि, धन, विदेश यात्रा, और विपरीत परिस्थितियों में विजय दिला सकती है, जबकि नकारात्मक ऊर्जा भ्रम, भय, और विघ्न का कारण बनती है। इसलिए राहु के इन नामों का जप, उसकी शक्तियों को नियंत्रित कर जीवन में संतुलन, सुरक्षा, सफलता और मानसिक शांति लाने का माध्यम है।

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