हंस वाहिनी जगत व्यापिनी वाणी माँ
(मुखड़ा)
हंस वाहिनी जगत व्यापिनी वाणी माँ,
करुणामयी कल्याण कर कल्याणी माँ।।
(अंतरा)
धधकती है ज्वाला माता,
धधकती है ज्वाला माता,
मोह की, मोह की, मोह की,
शांत कर दे शांतिदायिनी वाणी माँ,
करुणामयी कल्याण कर कल्याणी माँ।।
दे उजाला राम के प्रिय,
दे उजाला राम के प्रिय,
नाम का, नाम का, नाम का,
दूर तम कर तिमिरनाशिनी वाणी माँ,
करुणामयी कल्याण कर कल्याणी माँ।।
प्रेम भर दे वाणी में माँ,
सोज भर दे वाणी में माँ,
शारदे, शारदे, शारदे,
राम गुण गाती रहे मम वाणी माँ,
करुणामयी कल्याण कर कल्याणी माँ।।
(पुनरावृत्ति)
हंस वाहिनी जगत व्यापिनी वाणी माँ,
करुणामयी कल्याण कर कल्याणी माँ।।
हंस वाहिनी जगत व्यापिनी वाणी मां। रचना श्री जगन्नाथ पहाड़ी स्वर घनश्याम मिढ़ा भिवानी।
हंस वाहिनी जगत व्यापिनी वाणी मां ।
करुणा मई कल्याण कर कल्याणी मां।