हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं भजन
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं भजन
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैंं,ये दुनिया वाले जलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
बाबा ने हमको चलना सिखाया,
सब भक्तो से मिलना सिखाया,
हम तो सीना तान निकलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
बाबा हमारा साथी कहाए,
बन के सहारा नाती कहाए,
हम तो इनके भरोसे पलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
दुनिया वाले क्या पहचाने,
श्याम हमारे दिल की जाने,
इनके नाम से संकट टलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
दास कन्हैंया भजन सुनाए,
बाबा ये तेरी किरपा चाहे,
इनके नाम के दीपक जलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैंं,
ये दुनिया वाले जलते हैंं,
हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं।
Sanjay Mittal Bhajan - Hum To Baba Ke Bharose Chalte | Original Bhajan
श्याम बाबा का भरोसा वह अटूट विश्वास है, जो भक्त को हर कदम पर साहस और शक्ति देता है, जिससे वह दुनिया की हर चुनौती को सीना तानकर पार कर जाता है। बाबा की कृपा से भक्त को न केवल जीवन जीने का सही मार्ग मिलता है, बल्कि वह सभी भक्तों के साथ प्रेम और एकता का बंधन भी सीखता है। यह श्याम का वह साथ है, जो भक्त को हर पल सहारा देता है और उसे यह विश्वास दिलाता है कि जब बाबा का भरोसा है, तो दुनिया की कोई परवाह उसे डिगा नहीं सकती। उनकी कृपा का यह आलम है कि भक्त का जीवन उनके नाम के दीपक से रोशन हो जाता है, और वह हर संकट से मुक्त होकर आनंदमय जीवन जीता है।
‘हारे का सहारा’ कहने का रहस्यमय अर्थ केवल इतना नहीं है कि खाटू श्याम जी भक्तों के कष्ट दूर करने वाले देवता हैं, बल्कि इसके पीछे महाभारत की एक गहरी और प्रेरणादायक कथा छुपी है। खाटू श्याम जी, जिनका असली नाम बर्बरीक है, ने अपनी माता से वचन लिया था कि वे युद्ध में हमेशा उसी पक्ष का साथ देंगे जो हार रहा होगा या कमजोर पड़ रहा होगा। जब वे महाभारत के युद्ध में पहुंचे, तो देखा कि कौरवों की सेना कमजोर है, इसलिए उन्होंने कौरवों का साथ देने का निश्चय किया। यही भावना—हारने वालों, दुखी और असहायों के प्रति सहानुभूति—‘हारे का सहारा’ उपाधि का मूल है
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