कुण जाणै बाबोजी म्हानै अइयाँ छोड़ भजन

कुण जाणै बाबोजी म्हानै अइयाँ छोड़ चल्या ज्यासी भजन

कुण जाणै बाबोजी म्हानै अइयाँ छोड़ भजन

कुण जाणै बाबोजी म्हानै, अइयाँ छोड़ चल्या ज्यासी
ऐसा संत कोई बिरला ई होवै, बाबोजी याद घणा आसी

बालपणे में संत बण गया, टांई फतेहपुर पूजवायो
भोळानाथजी बड़ा दयालु, बऊ धाम थानै सम्भळायो
श्री रतिनाथ.. नाम थे पायो..
बऊधाम बणगी काशी...
कुण जाणै

थारा परचा थारी चर्चा, सारी दुनिया आज करै
शेखावाटी संत शिरोमणि, सैं कै दिल पर राज करै
ॐ शिव गोरक्ष... ॐ शिव गोरक्ष..
जगमें गुंजतो ही जासी..
कुण जाणै

नाथ अनाथ का थे ही साथी, थे ही गुरु पितु मायत हो
भेदभाव थारै दर पे ना देख्यो, थे भग्तां का सहायक हो
कई आया और... कई आवैगा..
थारै जिस्यो कोई कद आसी..
कुण जाणै

थारी किरपा राखज्यो बाबा, भग्तां को मंगळ होवै
थारी समाधि कै दर्शण सै, जीवन म्हारो सफल होवै
अम्बरीष कहवै... मनसे पुकारो..
बाबोजी नेड़े दिख ज्यासी..
कुण जाणै

    KUN JANE BABA JI MANE GULAB NATH JI // कुन जान बाबोजी म्हाने इया छोड़ चला जासी // रतिनाथ जी महाराज 

    रत्ती नाथ जी राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के महान योगी-संन्यासी और आध्यात्मिक गुरु के रूप में विख्यात रहे हैं। गोरखनाथ जी, नाथ सम्प्रदाय के महान गुरु, उनके गुफा स्थल और मंदिर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित हैं, जहाँ पर उनकी पूजा और श्रद्धा की जाती है। वे योग मार्ग के प्रवर्तक माने जाते हैं और उनके कई शिष्य आज भी उनके उपदेशों का अनुसरण करते हैं।

    रत्ती नाथ जी का आश्रम लक्ष्मणगढ़ में है, जो शेखावाटी क्षेत्र में स्थित है। यह आश्रम आध्यात्मिक साधना और भक्तिमय वातावरण का केंद्र है, जहाँ श्रद्धालु ध्यान, पूजा-उपासना और सत्संग के लिए आते हैं। यहाँ से मात्र कुछ किलोमीटर दूर प्रसिद्ध सालासर धाम भी है, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। रत्ती नाथ जी के आश्रम में एकांत और शांति का माहौल होता है, जो साधकों को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाता है।

    नाथ पंथ भारतीय धार्मिक और योगिक परंपरा की एक प्राचीन शाखा है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिव की उपासना और योग साधना के माध्यम से आत्मा की मुक्ति और सिद्धि प्राप्त करना है। इस पंथ की स्थापना मत्स्येंद्रनाथ ने की थी, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है, और इनके शिष्य महायोगी गोरखनाथ को इस संप्रदाय का प्रमुख गुरु माना जाता है। नाथ पंथ में शैव, बौद्ध और योगिक तत्वों का समन्वय है, जो हठयोग की विभिन्न तकनीकों और गुरुकुल प्रणाली द्वारा साधना को आगे बढ़ाते हैं।

    नाथ संप्रदाय के साधक जो गहन योग साधना, तपस्या और विज्ञान की खोज में लगे रहते हैं, वे योगी, जोगी, या नाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये साधक भगवा वस्त्र धारण करते हैं, अपने गुरु पर पूरी श्रद्धा रखते हैं, और जीवन में अध्यात्म की पूर्णता के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। नाथ पंथ का धर्मग्रंथ और साहित्य परंपरा में इसकी गूढ़ योग विद्या, तप, साधना और गुरु-शिष्य परंपरा का विस्तृत वर्णन मिलता है। 

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