ज्योतिस्वरूप तव ज्योति जले लिरिक्स

ज्योतिस्वरूप तव ज्योति जले लिरिक्स Jyotiswarop Tav Jyoti Jale

ज्योतिस्वरूप तव ज्योति जले, 
मम मन-मंदिर के कोने में |
मिट जाए अविद्या अँधियारा, 
साधक हो मोक्ष जोहने में ||
माया मृगतृष्णा का जल है, 
मन-मृग इस पर भरमाता था |
रवि किरणों को जल जान उधर, 
यह भटक-भटक चकराता था ||
सत्यार्थ-प्रकाश हुआ अब तो, 
शरणागत हूँ अति आरत हूँ |
दुख-भंजन टेर सुनो वर दो, 
नतमस्तक हाथ पसारत हूँ ||
पापों के मल से दूर रहूँ, 
शुभ भक्ति रसामृत पान करूँ |
निज जीवन विमल बनाने को, 
हे नाथ तुम्हारा ध्यान धरूँ||
 
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