साँवरे तेरे दर आया जब हारकर, तूने पकड़ी कलाई मज़ा आ गया ॥
मेरे अपनों ने मुझको सताया बहुत, हसना चाहा तो पल पल रुलाया बहुत, रोते रोते जो पौंचा मैं खाटू नगर, ज़िन्दगी मुस्कराई तो मजा आ गया, साँवरे तेरे दर आया जब हारकर,
ख्वाब देखे थे जो पुरे वो हो रहे, राहे मुश्किल भी आसन लगने लगी, तेरी रहमत की एसी हुई है नजर, किस्मत रंग लाई देखो मजा आ गया, साँवरे तेरे दर आया जब हारकर,
तेरी किरपा से इज्जत और शोरत मिली, मुझे दोलत भी तेरी बदोलत मिली, तेरा गुण गान कर गया जीवन सवर, प्रीत एसी निभाई की मजा आ गया, साँवरे तेरे दर आया जब हारकर,