कभी कभी खुद से बात करो लिरिक्स Kabhi Kabhi Khus Se Baat Lyrics

कभी कभी खुद से बात करो लिरिक्स Kabhi Kabhi Khus Se Baat Lyrics, Kabhi Kabhi Khud Se Baat Karo Kabhi Khus Se Bolo

 
कभी कभी खुद से बात करो लिरिक्स Kabhi Kabhi Khus Se Baat Lyrics

अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।

हरदम तुम बैठे ना रहो -शौहरत की इमारत में,
कभी कभी खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में,
केवल अपनी कीर्ति न देखो- कमियों को भी टटोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।

दुनिया कहती कीर्ति कमा के, तुम हो बड़े सुखी।
मगर तुम्हारे आडम्बर से, हम हैं बड़े दु:खी।
कभी तो अपने श्रव्य-भवन की बंद खिड़कियाँ खोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
 
 ओ नभ में उड़ने वालो, जरा धरती पर आओ।
अपनी पुरानी सरल-सादगी फिर से अपनाओ।
तुम संतो की तपोभूमि पर मत अभिमान में डालो।
अपनी नजर में तुम क्या हो? ये मन की तराजू में तोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।
अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो।
कभी कभी खुद से बात करो।
कभी कभी खुद से बोलो।



कभी कभी खुद से बात करो | Kabhi Kabhi Khudse Baat Karo | Hindi Kavita | Pradeep

भावार्थ यह है कि हमें अपने बारे में ईमानदार होना चाहिए। हमें अपनी कमियों और खूबियों को दोनों को स्वीकार करना चाहिए। हमें केवल अपनी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें अपनी कमियों को भी सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने आडंबरों से बचना चाहिए और दूसरों के प्रति विनम्र होना चाहिए।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url