कबीर के दोहे हिंदी में दोहावली Kabir Ke Dohe Hindi Me Dohawali

कबीर के दोहे हिंदी में दोहावली Kabir Ke Dohe Hindi Me Dohawali

कबीर के दोहे हिंदी में दोहावली Kabir Ke Dohe Hindi Me Dohawali

पानी केरा बुदबुदा, अस मानुष की जात।
देखत ही छिपि जाएगा, ज्यों तारा परभात।।
संगति भई तो क्या भया, हिरदा भया कठोर।
नौनेजा पानी चढ़ै, तऊ न भीजै कोर।
दान किए धन ना घटै, नदी ना घटै नीर।
अपनी आंखों देखिए, यों कथि गए ‘कबीर’।।
ऊंचै पानी ना टिकै, नीचै ही ठहराय।
नीचा होय सो भरि पिवै, ऊंचा प्यासा जाए।।
कौन बड़ाई जलधि मिलि, गंग नाम भो धीम।
केहि की प्रभुता नहिं घटी, पर घर गए ‘रहिम’।।
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
‘रहिमन’ मछरी नीर को, तऊ न छांड़त छोह।।

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