कामाक्षी स्तोत्रम् लिरिक्स Kamakshi Strotam Lyrics

कामाक्षी स्तोत्रम् लिरिक्स Kamakshi Strotam Lyricsस्तोत्र संग्रह | संस्कृत-हिंदी स्त्रोत | स्त्रोत लिरिक्स हिन्दी

कामाक्षी स्तोत्रम् लिरिक्स Kamakshi Strotam Lyricsस्तोत्र संग्रह | संस्कृत-हिंदी स्त्रोत | स्त्रोत लिरिक्स हिन्दी

कामाक्षी स्तोत्रं एक संस्कृत स्तोत्र है जो कामाक्षी देवी की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र दस श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में देवी की एक अलग विशेषता का वर्णन किया गया है। कामाक्षी देवी को एक शक्तिशाली देवी माना जाता है जो सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। उन्हें प्रेम, सौंदर्य, और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। कामाक्षी स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को इन सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

कामाक्षी स्तोत्रं का एक उदाहरण इस प्रकार है:

कामाक्षीं करिकुम्भसन्निभकुचां वन्दे महेशप्रियाम्।
चन्द्रार्कानललोचनां सुरुचिरालङ्कारभूषोज्ज्वलाम्।

इस श्लोक में, भक्त देवी कामाक्षी की सुंदरता की स्तुति करते हैं। वे उनकी बड़ी छातियों, चंद्र जैसी आँखों, और सुंदर आभूषणों की प्रशंसा करते हैं।

कामाक्षी स्तोत्रं का पाठ करने से भक्तों को देवी की कृपा प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह उन्हें अपने जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करने में मदद कर सकता है। कामाक्षी स्तोत्रं का पाठ करने के लाभ निम्नलिखित हैं:
  • यह भक्तों को देवी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह भक्तों को अपने जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह भक्तों को प्रेम, सौंदर्य, और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
कामाक्षी स्तोत्रं का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। भक्त इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते हैं। हालांकि, यदि संभव हो तो, भक्त इसे सुबह-सुबह या शाम को करें। कामाक्षी स्तोत्रं का पाठ करने से पहले, भक्तों को स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। वे देवी को फूल, धूप, और दीप अर्पित कर सकते हैं। कामाक्षी स्तोत्रं एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को अपने जीवन में कई लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
 
कल्पानोकह पुष्प जाल विलसन्नीलालकां मातृकां
कान्तां कञ्ज दलेक्षणां कलि मल प्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।
काञ्ची नूपुर हार दाम सुभगां काञ्ची पुरी नायिकां
कामाक्षीं करि कुम्भ सन्निभ कुचां वन्दे महेश प्रियाम् ॥१॥
काशाभांशुक भासुरां प्रविलसत् कोशातकी सन्निभां
चन्द्रार्कानल लोचनां सुरुचिरालङ्कार भूषोज्ज्वलाम् ।
ब्रह्म श्रीपति वासवादि मुनिभिः संसेविताङ्घ्रि द्वयां
कामाक्षीं गज राज मन्द गमनां वन्दे महेश प्रियाम् ॥२॥
ऐं क्लीं सौरिति यां वदन्ति मुनयस्तत्त्वार्थ रूपां परां
वाचाम् आदिम कारणं हृदि सदा ध्यायन्ति यां योगिनः ।
बालां फाल विलोचनां नव जपा वर्णां सुषुम्नाश्रितां
कामाक्षीं कलितावतंस सुभगां वन्दे महेश प्रियाम् ॥३॥
यत् पादाम्बुज रेणु लेशम् अनिशं लब्ध्वा विधत्ते विधिर्
विश्वं तत् परिपाति विष्णुरखिलं यस्याः प्रसादाच्चिरम् ।
रुद्रः संहरति क्षणात् तद् अखिलं यन्मायया मोहितः
कामाक्षीं अति चित्र चारु चरितां वन्दे महेश प्रियाम् ॥४॥
सूक्ष्मात् सूक्ष्म तरां सुलक्षित तनुं क्षान्ताक्षरैर्लक्षितां
वीक्षा शिक्षित राक्षसां त्रि भुवन क्षेमङ्करीम् अक्षयाम् ।
साक्षाल्लक्षण लक्षिताक्षर मयीं दाक्षायणीं सक्षिणीं
कामाक्षीं शुभ लक्षणैः सुललितां वन्दे महेश प्रियाम् ॥५॥
ओङ्काराङ्गण दीपिकाम् उपनिषत् प्रासाद पारावतीम्
आम्नायाम्बुधि चन्द्रिकाम् अध तमः प्रध्वंस हंस प्रभाम् ।
काञ्ची पट्टण पञ्जराऽऽन्तर शुकीं कारुण्य कल्लोलिनीं
कामाक्षीं शिव कामराज, महिषीं वन्दे महेश प्रियाम् ॥६॥
ह्रीङ्कारात्मक वर्ण मात्र पठनाद् ऐन्द्रीं श्रियं तन्वतीं
चिन्मात्रां भुवनेश्वरीम् अनुदिनं भिक्षा प्रदान क्षमाम् ।
विश्वाघौघ निवारिणीं विमलिनीं विश्वम्भरां मातृकां
कामाक्षीं परिपूर्ण चन्द्र वदनां वन्दे महेश प्रियाम् ॥७॥
वाग् देवीति च यां वदन्ति मुनयः क्षीराब्धि कन्येति च
क्षोणी भृत् तनयेति च श्रुति गिरो याम् आमनन्ति स्फुटम् ।
एकानेक फल प्रदां बहु विधाऽऽकारास्तनूस्तन्वतीं
कामाक्षीं सकलार्ति भञ्जन परां वन्दे महेश प्रियाम् ॥८॥
मायाम् आदिम् कारणं त्रि जगताम् आराधिताङ्घ्रि द्वयाम्
आनन्दामृत वारि राशि निलयां विद्यां विपश्चिद् धियाम् ।
माया मानुष रूपिणीं मणि लसन्मध्यां महामातृकां
कामाक्षीं करि राज मन्द गमनां वन्दे महेश प्रियाम् ॥९॥
कान्ता काम दुधा करीन्द्र गमना कामारि वामाङ्क गा
कल्याणी कलितावतार सुभगा कस्तूरिका चर्चिता
कम्पा तीर रसाल मूल निलया कारुण्य कल्लोलिनी
कल्याणानि करोतु मे भगवती काञ्ची पुरी देवता ॥१०॥
 

 Kamakshi Stotram in Hindi कामाक्षी स्तोत्रम्  स्तोत्र संग्रह

स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए।

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