महालक्ष्मी अष्टकं जानिये अर्थ और महत्त्व
महालक्ष्मी अष्टकं जानिये अर्थ और महत्त्व

महालक्ष्मी अष्टकम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो माँ लक्ष्मी की आराधना के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
धन और सम्पत्ति: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में धन और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक रूप से लाभ होता है।
सौभाग्य और शुभ कार्यों में सफलता: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। माँ लक्ष्मी को सौभाग्य और सफलता की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता और सफलता आती है।
सुख और शांति: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को सुख और शांति की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आनंद और शांति आती है।
रोग निवारण: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के शरीर और मन के रोगों का निवारण होता है। माँ लक्ष्मी को रोगों को दूर करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के शरीर और मन के रोग दूर होते हैं।
संतान सुख: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को संतान सुख की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होता है।
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ कैसे करें
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान इसका पाठ करना शुभ माना जाता है। महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ नियमित रूप से करने से व्यक्ति को इन सभी लाभों की प्राप्ति हो सकती है।
धन और सम्पत्ति: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में धन और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक रूप से लाभ होता है।
सौभाग्य और शुभ कार्यों में सफलता: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। माँ लक्ष्मी को सौभाग्य और सफलता की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता और सफलता आती है।
सुख और शांति: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को सुख और शांति की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आनंद और शांति आती है।
रोग निवारण: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति के शरीर और मन के रोगों का निवारण होता है। माँ लक्ष्मी को रोगों को दूर करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के शरीर और मन के रोग दूर होते हैं।
संतान सुख: महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी को संतान सुख की देवी माना जाता है, इसलिए उनके इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होता है।
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ कैसे करें
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान इसका पाठ करना शुभ माना जाता है। महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
- माँ लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
- हाथों में फूल या माला लेकर माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
- स्तोत्र का पाठ ध्यानपूर्वक करें।
महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ नियमित रूप से करने से व्यक्ति को इन सभी लाभों की प्राप्ति हो सकती है।
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि ।
सर्वदुःखहरे देवि, महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि ।
सर्वदुःखहरे देवि, महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥
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1. नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे महामाया! श्रीपीठ में स्थित, देवताओं द्वारा पूजित, शंख, चक्र, और गदा धारण करने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
2. नमस्तेतु गरुदारुढै कोलासुर भयंकरी
सर्वपाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे कोलासुर का भय हरने वाली, गरुड़ पर सवार देवी, सभी पापों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
3. सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी
सर्वदुख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे सर्वज्ञ, सभी वरदान देने वाली, सभी दुष्टों का भय हरने वाली, सभी दुखों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
4. सिद्धिबुद्धिप्रदे देवी भक्तिमुक्ति प्रदायनी
मन्त्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे सिद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी, भक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी, मन्त्रमय रूप वाली सदा देवी महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे महामाया! श्रीपीठ में स्थित, देवताओं द्वारा पूजित, शंख, चक्र, और गदा धारण करने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
2. नमस्तेतु गरुदारुढै कोलासुर भयंकरी
सर्वपाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे कोलासुर का भय हरने वाली, गरुड़ पर सवार देवी, सभी पापों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
3. सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी
सर्वदुख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे सर्वज्ञ, सभी वरदान देने वाली, सभी दुष्टों का भय हरने वाली, सभी दुखों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
4. सिद्धिबुद्धिप्रदे देवी भक्तिमुक्ति प्रदायनी
मन्त्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे सिद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी, भक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी, मन्त्रमय रूप वाली सदा देवी महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
5. आद्यन्तहीते देवी आद्यशक्ति महेश्वरी
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे आदि और अंत रहित देवी, आदि शक्ति, महेश्वरी, योग से उत्पन्न हुई महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
6. स्थूल सूक्ष्मे महारोद्रे महाशक्ति महोदरे
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे स्थूल और सूक्ष्म रूप वाली, महारौद्र, महाशक्ति, महोदरी, महापापों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
7. पद्मासनस्थिते देवी परब्रह्मस्वरूपिणी
परमेशी जगन्माते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे पद्मासन में विराजमान, परब्रह्म स्वरूपिणी, परमेश्वरी, जगत की माता महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
8. श्वेताम्बरधरे देवी नानालङ्कार भूषिते
जगत स्थिते जगंमाते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, अनेक आभूषणों से सुशोभित देवी, जगत में स्थित, जगत की माता महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
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योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे आदि और अंत रहित देवी, आदि शक्ति, महेश्वरी, योग से उत्पन्न हुई महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
6. स्थूल सूक्ष्मे महारोद्रे महाशक्ति महोदरे
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे स्थूल और सूक्ष्म रूप वाली, महारौद्र, महाशक्ति, महोदरी, महापापों को हरने वाली महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
7. पद्मासनस्थिते देवी परब्रह्मस्वरूपिणी
परमेशी जगन्माते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे पद्मासन में विराजमान, परब्रह्म स्वरूपिणी, परमेश्वरी, जगत की माता महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
8. श्वेताम्बरधरे देवी नानालङ्कार भूषिते
जगत स्थिते जगंमाते महालक्ष्मी नमोस्तुते!
भावार्थ: हे श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, अनेक आभूषणों से सुशोभित देवी, जगत में स्थित, जगत की माता महालक्ष्मी, आपको नमस्कार।
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