खाटू की माटी का तिलक लगा ले

खाटू की माटी का तिलक लगा ले

खाटू की माटी का तिलक लगा ले,
ये गांव है श्याम धणी का अपनी किस्मत चमकाले,
खाटू की माटी का तिलक लगा ले,

वृन्दावन का कान्हा और राम अयोध्या वाला,
अवतार लिया खाटू में अब हो गया खाटू वाला,
खाटू की माटी का तिलक लगा ले.....

बड़ी धन्य धन्य ये माटी यहाँ पाँव पड़े भक्तो के,
इस माटी का क्या कहना यहाँ चिमटे गड़े संतो के,
खाटू की माटी का तिलक लगा ले......

खाटू की इस माटी से तुम कंकर चुग चुग कर लाना,
हर कंकर में है माया इन्हे झुक झुक शीश निभाना,
खाटू की माटी का तिलक लगा ले.......

भगतो का पसीना टपका, भक्तो के आंसू टपके,
बनवारी बदन से लगना बाबा की भभूत समझ के,
खाटू की माटी का तिलक लगा ले,

सुंदर भजन में खाटू की माटी की वो महिमा गाई गई है, जो श्रीकृष्णजी के प्रेम और कृपा से पवित्र हो चुकी है। यह माटी सिर्फ धूल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था और उनके श्याम के प्रेम का प्रतीक है। इसे माथे पर लगाने से मन में एक ऐसी चमक आती है, जो किस्मत को भी रौशन कर देती है। यह एक ऐसी पुकार है, जो हर भक्त को खाटू की ओर बुलाती है, जहाँ श्रीकृष्णजी खाटू वाले बनकर विराजते हैं।

वृंदावन का कान्हा और अयोध्या का राम अब खाटू में अपने भक्तों के बीच हैं। यह माटी धन्य है, क्योंकि यहाँ भक्तों के पाँव पड़े, संतों के चिमटे गड़े। जैसे कोई विद्यार्थी अपने गुरु के चरणों की धूल को पवित्र मानता है, वैसे ही यह माटी भक्तों के लिए अमूल्य है। हर कण में श्रीकृष्णजी की माया बसी है, जिसे श्रद्धा से शीश झुकाकर अपनाने से मन को सुकून मिलता है।

इस माटी में भक्तों का पसीना और आँसू समाए हैं, जो उनकी भक्ति की गहराई दिखाते हैं। इसे बाबा की भभूति समझकर लगाने से मन को वह शक्ति मिलती है, जो दुखों को दूर करती है। जैसे कोई धर्मगुरु सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा ही जीवन को अर्थ देती है, वैसे ही यह माटी भक्त को अपने श्याम से जोड़ती है। हर कंकर में बसी माया भक्त के दिल को उनके प्रेम में डुबो देती है। 

वृन्दावन का कान्हा भगवान श्रीकृष्ण का वही रूप है जो अपनी बाल लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है। वृन्दावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक पवित्र नगर है, जो श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का केंद्र माना जाता है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रची, यमुना नदी में कालिय नाग का दमन किया और गोवर्धन पर्वत को अपनी मुठ्ठी पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। वृन्दावन में श्रीकृष्ण और राधा रानी के कई प्राचीन मंदिर हैं, जैसे बांके बिहारी जी का मंदिर, राधारमण मंदिर, गोपीनाथ मंदिर आदि, जो भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय हैं। वृन्दावन की पवित्रता और श्रीकृष्ण की लीलाएं इस स्थान को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती हैं, इसलिए इसे "कान्हा का धाम" भी कहा जाता है। यहाँ की हर एक जगह श्रीकृष्ण की यादों और उनकी दिव्य लीलाओं से जुड़ी हुई है, जो भक्तों के हृदय में प्रेम और भक्ति की भावना जगाती है। वृन्दावन का कान्हा न केवल एक देवता हैं, बल्कि प्रेम, करुणा और आनंद के प्रतीक हैं, जिनकी भक्ति से जीवन में सुख और शांति आती है।

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