तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे

तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे

  तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे – 2
तू लागे रे दूल्हा सा दिलदार सांवरे – 2
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
मस्तक मलयगिरि चन्दन केसर तिलक लगाया
मोर मुकुट कानन में कुंडल चित्र बहुत बरसाय
यु महकता रहे ये दरबार साँवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
तू लागे रे दूल्हा सा दिलदार साँवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
कजरा ऐसा डार नइयां में और भये मतवारे
बनजाये आशिक़ुए वो तेरा जिसकी ओर निहारे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
रहे सलामत हाथ सदा वो जिसने तुम्हे सजाया
यु सजाता रहे वो बार बार सांवरे
तू लागे रे बदरा सा दिलदार सांवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे
बोल कन्हया बोल तुझे मैं कौन सा गीत सुनाऊँ
ऐसा कोई राग बता दे तू नाचे मैं गाउँ
यु नाचत राहु मैं बार बार संवरे
तेरा किसने किया रे श्रृंगार सांवरे – 2
तू लागे रे दूल्हा सा दिलदार सांवरे – 2


तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे || ऐसा भजन जिसको सुनने को लोग तरसते है|| Krishna Chandra Thakur ji |

सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी का श्रृंगार ऐसा है, मानो कोई दूल्हा सजा हो—मस्तक पर मलयगिरि चंदन और केसर का तिलक, सिर पर मोर मुकुट, और कानों में कुंडल, जो उनके दरबार को सुंदरता और महक से भर देता है। यह रूप इतना दिलकश है कि हर भक्त उनके सामने नतमस्तक हो जाता है, जैसे कोई विद्यार्थी अपने गुरु की महिमा देखकर चकित रहता है।

उनके नैनों में काजल की ऐसी छटा है, जो देखने वाले को मतवाला बना देता है। उनकी एक नजर पड़े, तो हर कोई उनका आशिक बन जाता है। यह श्रृंगार सिर्फ बाहरी नहीं, बल्कि उनके प्रेम और दया का प्रतीक है, जो भक्तों के मन को बाँध लेता है। जैसे कोई धर्मगुरु अपने अनुयायियों को प्रेम की राह दिखाता है, वैसे ही श्रीकृष्णजी का यह रूप हर दिल को अपने रंग में रंग देता है। 

श्रीकृष्णजी का श्रृंगार उनकी भक्ति और पूजन का अत्यंत सुंदर और महत्वपूर्ण अंग है। भगवान श्रीकृष्ण को उनके मनमोहक रूप, अलौकिक सौंदर्य और विविध श्रृंगार के लिए जाना जाता है। भक्तजन प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर श्रीकृष्ण का मनभावन श्रृंगार करते हैं, जिसमें वस्त्र, मुकुट, मोरपंख, बांसुरी, कड़े, कुंडल, काजल, पगड़ी, फूलों की माला और आभूषण शामिल होते हैं।

माता यशोदा बाल गोपाल के श्रृंगार में विशेष ध्यान देती थीं, जैसे काजल लगाना, कड़े पहनाना और मोर मुकुट सजाना, जिससे उनका सौंदर्य और भी निखर जाता था। बांसुरी श्रीकृष्ण का प्रिय वाद्य है और मोरपंख वाला मुकुट उनकी सबसे बड़ी पहचान मानी जाती है। श्रृंगार के दौरान भक्त अपने आराध्य को प्रेम, भक्ति और श्रद्धा से सजाते हैं, जिससे श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। जन्माष्टमी जैसे पर्वों पर श्रीकृष्ण का विशेष सोलह श्रृंगार किया जाता है, जिसमें हर एक वस्तु का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है, और यह श्रृंगार भक्तों के लिए आध्यात्मिक आनंद और संतोष का स्रोत बन जाता है।

Song: Tera Kisne Kiya Shringar
Singer: Shri Krishna Chandra Thakur ji
Lyrics:  Treditional

Next Post Previous Post