तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है

तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है

तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है…
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है,
दिन हो चाहे रात हो तेरा सपना आता है,
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है।

मीत बना तू मेरा और प्रीत लगाई एसी,
दुनिया बनाने वाले ये रीत चलाई कैसी,
ना जाने तू कैसा कैसा खेल रचाता है,
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है।

जिसको भी तू चाहे उसको अपना बना ले,
सब कुछ तेरे वश में तुम हो करने वाले,
करना सके कोई भी वो तू करके दिखाता है,
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है।

अब ना टूटे कान्हा ये तेरा मेरा बंधन,
मेरी कुछ भी नही है तेरा तुझको अर्पण,
बनवारी इस दिल को केवल तू ही भाता है,
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है,
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है,
दिन हो चाहे रात हो तेरा सपना आता है |
तेरा मेरा सांवरे ऐसा नाता है।


 
तेरा मेरा सांवरे कैसा नाता है - Tera Mera Sanware Kaisa Nata Hai - Sanju Sharma - Khatu Shyam Bhajan
 
श्रीकृष्णजी और भक्त के बीच उस अनमोल रिश्ता है। यह नाता इतना गहरा है कि भक्त का मन हर वक्त उनके सपनों में डूबा रहता है। जैसे कोई सच्चा दोस्त हर सुख-दुख में साथ देता है, वैसे ही श्रीकृष्णजी का यह बंधन भक्त को हर पल थामे रखता है।

श्रीकृष्णजी ने भक्त को अपना मीत बनाकर ऐसा प्रेम बांधा कि दुनिया की सारी रीतें इसके सामने फीकी लगती हैं। उनका यह खेल अनोखा है, जो हर दिल को अपने रंग में रंग लेता है। जैसे कोई विद्यार्थी अपने गुरु की हर बात में जादू देखता है, वैसे ही भक्त उनके हर खेल में उनकी महिमा देखता है। वह जिसे चाहते हैं, उसे अपना बना लेते हैं, क्योंकि उनके वश में सब कुछ है। 
 
भगवान श्रीकृष्ण भक्तों की मदद और रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं। अनेक कथाओं और प्रसंगों में यह देखा गया है कि जब कोई भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से श्रीकृष्ण की आराधना करता है, तो वे स्वयं उसकी सहायता के लिए प्रकट होते हैं या चमत्कारिक रूप से उसकी समस्याओं का समाधान करते हैं। उदाहरण के लिए, वृंदावन की एक कथा में दो ब्राह्मणों की यात्रा के दौरान एक युवक ने अपने वृद्ध पिता की बहन से विवाह के लिए भगवान श्रीकृष्ण से गवाही मांगी, तब श्रीकृष्ण ने स्वयं मूर्ति के रूप में प्रकट होकर उसकी बात सत्य साबित की और विवाह संपन्न हुआ।

। उनका प्रेम निःस्वार्थ, शुद्ध और अनंत था, जिसमें वे अपने भक्तों के सुख-दुख में सच्चे साथी बनते थे—जैसे सुदामा की मित्रता, जिसमें कृष्ण ने अपने गरीब मित्र की मदद कर उसकी गरीबी दूर की, या मीरा बाई की भक्ति, जिसमें कृष्ण ने हर संकट में मीरा की रक्षा की और उन्हें अपने दिव्य प्रेम का अनुभव कराया। श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम में सेवा, समर्पण और करुणा की भावना प्रमुख है, जो भक्तों को मानसिक शांति, आनंद और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। श्रीकृष्ण का जीवन और उपदेश हमें सिखाते हैं कि सच्चा प्रेम और करुणा केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी प्राणियों के लिए होनी चाहिए, और यही भाव उन्हें भक्तों के लिए सबसे प्रिय और करुणामय भगवान बनाता है।
 
Singer - Sanju Sharma  

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