लेके संजीवनी संकट को मिटाने आजा भजन
लेके संजीवनी,
संकट को मिटाने आजा,
वीर बजरंगी,
लखन भैया को बचाने आजा।
देर हो जायेगी तो,
प्राण निकल जाएंगे,
माँ सुमित्रा को,
कौन मुँह दिखाएँगे,
सब कहेंगे की,
यह राम ने नादानी की,
अपनी पत्नी के लिए,
भाई की क़ुरबानी दी,
अपने इस राम को,
अपयश से बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन,
भैया को बचाने आजा,
लेके संजीवनी,
संकट को मिटाने आजा,
वीर बजरंगी,
लखन भैया को बचाने आजा।
दुःख में नल नील,
जामवंत और सुग्रीव यहाँ,
मेरे हनुमंत तुमने,
कर दी इतनी देर कहाँ,
पूरे ब्रह्माण्ड में ना,
ऐसा कोई शोक हुआ,
की जिसकी आह से आहत,
ये तीनो लोक हुआ,
गीत अब अनुज का,
देवेंद्र सुनाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन,
भैया को बचाने आजा,
लेके संजीवनी,
संकट को मिटाने आजा,
वीर बजरंगी,
लखन भैया को बचाने आजा।
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