मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला लिरिक्स Meri Gayi Re Mundariya Khoy Lyrics

यह भजन राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी पर आधारित है। भजन में, राधा कृष्ण के साथ होली खेलते समय अपनी मुंदरी खोने के बारे में गाती है। मुंदरी एक प्रकार का हार होता है जो महिलाएं पहनती हैं। राधा की मुंदरी बहुत कीमती थी, लेकिन वह कृष्ण के साथ होली खेलने के लिए इसे खोने को तैयार है। भजन के पहले छंद में, राधा कृष्ण को याद करती है कि उसने होली खेलते समय अपनी मुंदरी खो दी थी। वह कहती है कि वह बहुत दुखी है क्योंकि वह अपनी मुंदरी को बहुत पसंद करती थी।

मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला लिरिक्स Meri Gayi Re Mundariya Khoy Lyrics, Krishna Bhajan


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मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला,
तेरे संग होली खेलन में,
मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला।

यह मुंदरी मेरी सवा लाख की
तो पे न पैदा होय रसिया
तेरे संग होली खेलन में,
मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला।

मुंदरी के बदले में तो मुरली लुंगी
तेरी जगत हसाई होय रसिया
तेरे संग होली खेलन में,
मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला।

चन्द्रसखी भज बाल कृष्णा सखी
तोहे नै घडवायदे तोहे रसिया
तेरे संग होली खेलन में,
मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला।

निधिवन मंदिर वृन्दावन : श्री कृष्णा जी की रास लीला दुनिया भर में प्रसिद्ध है। गोपियों को श्री कृष्ण का ठिठोली करना, शरारते करना हर रूप पसंद था और वे कृष्ण से दूर नहीं रह सकती थी। वृन्दावन की गली गली रास लीला की गवाह रही है। श्री कृष्ण जी के द्वारा मनाये जाने वाले रास को महा रास कहा जाता है और इसकी शुरुआत सबसे पहले शरद पूर्णिमा की रात्रि को संपन्न हुआ था जो की काम देव के द्वारा श्री कृष्ण जी को दी गयी चुनौती से सबंधित था। ठाकुर जी हर रात को निधिवन मंदिर में आते हैं और गोपियों के साथ रास लीला करते हैं ऐसा यहाँ की स्थानीय लोगों की मान्यता है। ये सिर्फ रास लीला ही नहीं होती बल्कि आध्यात्मिक गतिविधि भी होती है। निधिवन में श्री कृष्णा और राधा जी की मूर्ति हैं जो बहुत ही सुन्दर मनोहारी और आकृषक आभूषणों से अलंकृत है। श्री कृष्ण और राधा जी अपनी रास लीला को पवित्र कुञ्ज में विश्राम देते हैं। मंदिर में सभी वृक्ष एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जो की राधा और कृष्ण जी के प्रेम को दर्शाते हैं। यही कारन है निधिवन के विख्यात होने का। इस रास लीला को कभी कोई देख नहीं पाया है क्यों की शाम पांच बजे ही मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और आठ बजे होने वाली आरती के बाद मंदिर के पुजारी भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। यही इस मंदिर की ख़ास बात है।

मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला,
तेरे संग होली खेलन में,
मेरी गई रे मुन्दरिया खोय लाला।



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