नँद नंदन आगे नाचूँगी भजन

नँद नंदन आगे नाचूँगी भजन

नँद-नंदन आगे नाचूँगी
नाच नाच पिय तुमहिं रिझाऊँ, प्रेमीजन को जाँचूँगी
प्रेम प्रीत का बाँध घूँघरा, मोहन के ढिंग छाजूगीं
लोक-लाज कुल की मरजादा, या मैं एक न राखूँगी
पिय के पलँगाँ जा पौढूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राँचूँगी
 
आपने मीरा बाई के प्रसिद्ध भजन "नंद-नंदन आगे नाचूँगी" के कुछ पद प्रस्तुत किए हैं। इस भजन में मीरा बाई अपने आराध्य श्री कृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं। वह कहती हैं कि वह श्री कृष्ण के आगे नाचेंगी, प्रेमियों को रिझाएंगी, और उनके प्रेम में रंगी रहेंगी।
 
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