घुमर राजस्थान का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य और गीत है। यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है, और यह अपने मधुर संगीत और सुंदर नृत्य के लिए जाना जाता है। घुमर नृत्य का अर्थ है "घूमना"। यह नृत्य एक महिला के प्रेम और विरह की कहानी कहता है। नृत्यांगना अपने प्रेमी की याद में घूमती है और अपने दुख को व्यक्त करती है। घुमर गीत भी एक महिला के प्रेम और विरह की कहानी कहता है। गीत में, एक महिला अपने प्रेमी से मिलने के लिए तरस रही है। वह अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए घूमर नृत्य करती है।
घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राजस्थानी महिलाओं की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं। घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद करते हैं। घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राजस्थानी समारोहों और उत्सवों में अक्सर प्रस्तुत किए जाते हैं। घुमर नृत्य और गीत को दुनिया भर में भी लोकप्रियता मिली है।
घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राजस्थानी महिलाओं की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं। घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद करते हैं। घुमर नृत्य और गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राजस्थानी समारोहों और उत्सवों में अक्सर प्रस्तुत किए जाते हैं। घुमर नृत्य और गीत को दुनिया भर में भी लोकप्रियता मिली है।
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ Mhari Ghumar Chhe Nakharali
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्यां,
ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्यां,
ओ म्हारी घुमर छे नखराळी ऐ माँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्यां,
ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्यां,
ओ म्हारी घुमर छे नखराळी ऐ माँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
"घुमर" एक लोकप्रिय राजस्थानी लोक गीत है जिसे पारंपरिक रूप से महिलाओं द्वारा गाया जाता है। "घुमर" शब्द हिंदी शब्द "घूमना" "गोल गोल घूम कर नृत्य करना" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "घुमाना" या "घुमाना"। यह गीत आम तौर पर शादियों, त्यौहारों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान गाया जाता है, और इसकी उत्साहित लय और हास परिहास गीतों की विशेषता है।
"घुमर" के बोल आमतौर पर एक दुल्हन की खुशी और खुशी का वर्णन करते हैं क्योंकि वह अपनी शादी के दिन के जश्न में झूमती और नाचती है। यह गीत अक्सर दूल्हा और दुल्हन के बीच प्यार और मिलन के उत्सव के रूप में गाया जाता है, और नवविवाहितों के लिए सौभाग्य और आशीर्वाद लाने के लिए होता है।
कुल मिलाकर, "घूमर" राजस्थानी लोक संगीत और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पूरे राजस्थान और उसके बाहर संगीतकारों और नर्तकों द्वारा व्यापक रूप से आनंद और प्रदर्शन किया जाता है।
"घुमर" के बोल आमतौर पर एक दुल्हन की खुशी और खुशी का वर्णन करते हैं क्योंकि वह अपनी शादी के दिन के जश्न में झूमती और नाचती है। यह गीत अक्सर दूल्हा और दुल्हन के बीच प्यार और मिलन के उत्सव के रूप में गाया जाता है, और नवविवाहितों के लिए सौभाग्य और आशीर्वाद लाने के लिए होता है।
कुल मिलाकर, "घूमर" राजस्थानी लोक संगीत और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पूरे राजस्थान और उसके बाहर संगीतकारों और नर्तकों द्वारा व्यापक रूप से आनंद और प्रदर्शन किया जाता है।
राजस्थानी लोक गीत विभिन्न प्रकार के विषयों पर आधारित होते हैं जिनमें आप राजस्थान की संस्कृति, पहनावे और बोली के विषय में जान सकते हैं।
- प्यार और रोमांस: कई राजस्थानी लोक गीत प्यार और रोमांस के बारे में हैं, और रिश्तों की खुशियों और कठिनाइयों का वर्णन, विरह का वर्णन पर आधारित हैं। कुछ गाने उन प्रेमियों की कहानी कहते हैं जो दूरी या अन्य परिस्थितियों से अलग हो जाते हैं, जबकि अन्य एक साथ रहने की खुशी मनाते हैं।
- त्यौहार और उत्सव: राजस्थानी लोक संगीत अक्सर त्यौहारों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान प्रमुखता से आयोजित किया जाता है और इन घटनाओं को मनाने के लिए विशेष रूप से कई गीत लिखे जाते हैं। उदाहरण के लिए, दो लोकप्रिय हिंदू त्योहारों, होली या दिवाली के बारे में गाने, अक्सर उत्सव के उत्साह और खुशी का वर्णन करते हैं।
- प्रकृति और पर्यावरण: राजस्थान अपने विशाल रेगिस्तानों के लिए जाना जाता है, और कई राजस्थानी लोक गीत प्राकृतिक दुनिया की सुंदरता और महिमा से प्रेरित हैं। रेगिस्तान, मानसून और पर्यावरण के अन्य तत्वों के बारे में गाने अक्सर विस्मय और श्रद्धा की भावना पैदा करते हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक विषय: राजस्थान में धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथाओं का एक समृद्ध इतिहास है, और कई राजस्थानी लोक गीत इन परंपराओं से प्रेरित हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू देवी-देवताओं के गीत अक्सर उनकी शक्तियों और विशेषताओं का वर्णन करते हैं, और उनकी दिव्य सुरक्षा की प्रशंसा में गाए जाते हैं।
- सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे: कुछ राजस्थानी लोक गीत गरीबी, अन्याय और असमानता जैसे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करते हैं। ये गीत अक्सर विरोध के रूप में या महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए गाए जाते हैं।
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ,
घुमर रमवा म्हें जास्याँ,
ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।
Ghoomar (Original Song) | Most Popular Rajasthani Dance Song | Seema Mishra | Veena Music
गीत की शुरुआत में, महिला अपने प्रेमी से मिलने की इच्छा व्यक्त करती है। वह कहती है कि वह अपने प्रेमी से मिलने के लिए घूमर नृत्य करेगी। गीत के बीच में, महिला अपने प्रेमी के साथ बिताए हुए सुखद समय को याद करती है। वह कहती है कि वह अपने प्रेमी के साथ घूमने-फिरने जाती थी और उनके बीच बहुत प्यार था। गीत के अंत में, महिला अपने प्रेमी के बिना जीने की असंभवता व्यक्त करती है। वह कहती है कि वह अपने प्रेमी के बिना मरना चाहती है।
"ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसका घूमर नृत्य नखरा है। वह अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसके प्रेमी ने उसके माथे पर काजल टिकी लगाई है। वह अपने प्रेमी की याद में घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसके प्रेमी ने उसके हाथों में लाडूङो (एक प्रकार की मिठाई) बंधी है। वह अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए घूमर नृत्य कर रही है।
"ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला अपने माता-पिता से कहती है कि उसे परदेशी न बनाएं। वह अपने प्रेमी से मिलने के लिए घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला अपने माता-पिता से कहती है कि उसे राठोडा के घर भल दीजिए। वह राठोडा के घर में रहकर अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती है।
"ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसे राठोडा की बोली प्यारी लगती है। वह राठोडा के साथ रहना चाहती है ताकि वह उसकी बोली सीख सके। राजस्थानी घुमर गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गीत राजस्थानी महिलाओं की शक्ति और स्वतंत्रता को भी दर्शाता है। ये गीत राजस्थानी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
"ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसका घूमर नृत्य नखरा है। वह अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसके प्रेमी ने उसके माथे पर काजल टिकी लगाई है। वह अपने प्रेमी की याद में घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसके प्रेमी ने उसके हाथों में लाडूङो (एक प्रकार की मिठाई) बंधी है। वह अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए घूमर नृत्य कर रही है।
"ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला अपने माता-पिता से कहती है कि उसे परदेशी न बनाएं। वह अपने प्रेमी से मिलने के लिए घूमर नृत्य कर रही है। "ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला अपने माता-पिता से कहती है कि उसे राठोडा के घर भल दीजिए। वह राठोडा के घर में रहकर अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती है।
"ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ, घुमर रमवा म्हें जास्याँ, ओ राजरी घुमर रमवा म्हें जास्याँ।" इस पंक्ति में, महिला कहती है कि उसे राठोडा की बोली प्यारी लगती है। वह राठोडा के साथ रहना चाहती है ताकि वह उसकी बोली सीख सके। राजस्थानी घुमर गीत राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गीत राजस्थानी महिलाओं की शक्ति और स्वतंत्रता को भी दर्शाता है। ये गीत राजस्थानी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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