सम्बलपुर मंदिर बन गयो रे खाटू वाला श्याम
सम्बलपुर मंदिर बन गयो रे खाटू वाला श्याम
सम्बलपुर मंदिर बन गयो रे खाटू वाला श्याम,खाटू धाम के जैसो बन गयो सम्बलपुर को धाम,
सम्बलपुर मंदिर बन गयो रे खाटू वाला श्याम,
खाटू से चल कर आयो सम्बलपुर द्वार लगायो,
बाबा के हिवड़े बस गयो रे सम्बलपुर को धाम,
मनसा हो गई है पूरी बाबा से इब न दुरी,
महरो सपनो पुरो कर गयो रे खाटू वाला श्याम,
मंदिर बन बनो अनोखो भगता ने लागे चोखो,
सहज धज के बाबाओ जच गयो रे खाटू वाला श्याम
अब रोज ही मिलने होसी,
इनके होते कोई न रोसी,
तेरो श्याम को मनड़ो भर गयो रे खाटू वाला श्याम,
खाटू धाम के जैसो बन गियो सम्बल पुर को धाम,
सम्बलपुर में बनी उस पवित्र धाम की स्थापना ने भक्तों के हृदय में एक नई आशा और उत्साह का संचार किया है, जो खाटू धाम की भव्यता और पवित्रता को प्रतिबिंबित करता है। यह स्थान अब केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि उस अनंत शक्ति का आलम बन गया है, जो भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती है। वह शक्ति, जो खाटू से चलकर सम्बलपुर के द्वार तक पहुँची, भक्तों के हृदय में बस गई है, और अब हर पल उनकी निकटता का अनुभव कराती है। यह भावना कि वह divine शक्ति सदा साथ है, भक्तों को एक गहरी शांति और विश्वास प्रदान करती है, जो उनके जीवन को आलोकित कर देती है।
इस धाम की अनोखी छटा और भव्यता भक्तों के लिए एक अनमोल उपहार है, जो उनकी श्रद्धा को और गहरा करती है। यहाँ की हर धज, हर सजावट उस शक्ति की महिमा को प्रकट करती है, जो भक्तों के सपनों को साकार कर देती है। अब भक्तों को रोज़ उस शक्ति के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा, और उनके मन में यह विश्वास और दृढ़ होता जाएगा कि जब तक वह शक्ति साथ है, कोई दुख उन्हें छू नहीं सकता।