साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी, करुना की सूरत समता की सूरत लाखो में एक हमार गुरु जी, गुरु वर पुलक सागर जी हमारे जब से इस नगरी में पधारे, ढोल नगाड़े बजते है दवारे छाई है खुशिया अपार गुरु जी, साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी संध्या सकारे लगे भगती का मेला कोई ना बेठे अब घर में अकेला, पूजन भजन के स्वर गूंज ते है अब तो हमारे घर द्वार गुरु जी, साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी मालवा की माटी को चंदन बनाया आके यहाँ जो प्रवास रचाया, तन मन से एसी सेवा करे गये देखा गा सारा संसार गुरु जी, साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी
JAIN BHAJAN 2018 | सांची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई गुरु जी |