असतो मा सद्गमय लिरिक्स हिंदी मीनिंग Asato Ma Sadgamay Meaning Shanti Mantra

शांति मंत्र असतो मा सद्गमय लिरिक्स हिंदी मीनिंग Asato Ma Sadgamay Meaning Shanti Mantras Peace Mantra Asato Ma Sadgamaya

ॐ असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्म अमृतं गमय ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
(Brhadaranyaka Upanishad — I.iii.28)

Om Asato Ma Sadgamaya ।
Tamaso Ma Jyotirgamaya ॥
Mrtyorma Amrtam Gamaya।
Om Shanti Shanti Shanti ॥
(Brhadaranyaka Upanishad — I.iii.28)

Lead me from the unreal to the real.
Lead me from darkness to light.
Lead me from death to immortality.
Om Peace Peace Peace.
हिंदी में अर्थ : यह मन्त्र पवमान मन्त्र या पवमान अभयरोह मन्त्र बृहदारण्यक उपनिषद का एक मन्त्र हैं। मूलतः सोमयज्ञ की स्तुति में यजमान के द्वारा इस मन्त्र को गया जाता था। इस मन्त्र का मूल भाव है की हे ईश्वर मुझे असत्य से सत्य की और ले चलो, मुझे अंधेरों से प्रकाश की और ले चलो और मुझे मृत्यु से अमरता की और ले चलो। वस्तुतः यह मन्त्र ही नहीं सम्पूर्ण जीवन शैली को प्रकाशित करता है। 
"असतो मा सद्गमय" मंत्र का शाब्दिक अर्थ : यह मन्त्र संस्कृत में है, इसका शाब्दिक अर्थ निम्न प्रकार से है।
ॐ : ब्रह्मा, Brahma.
असतो : असत्य, unreal.
मा : नहीं , No.
सद्गमय : सत्य की राह , The Way of Divine Light.
तमसो : अँधेरा , Darkness.
मा : नहीं , Do Not.
ज्योतिर्गमय = lead into the light;
मृत्योर्मा = मृत्यु की तरफ नहीं do not to death;
अमृतं = अमरता, nectar;
गमय = ले चलो, lead me to;
ॐ = ब्रह्मा
शांतिः = शांति, ठहराव, Peace; tranquility. 


स्वंय को अनुशासित करने का मूल मन्त्र है "असतो माँ सद्गमय ". असत्य क्या है, हर एक वह निर्णय जो मूर्त रूप में आने से पहले कल्याणकारी नहीं होता है। केवल स्वंय का स्वार्थ असत्य है। सत्य है सबका भला, सबका हित चाहना, और मंगल की भावना। यह मन्त्र मनुष्य के शरीर और आत्मा को जोड़ने वाला मन्त्र है।

शांति क्या है, शांति कोई भौतिक वस्तु नहीं है। हम परिणामों को लेकर चिंतिति रहते है। परिणाम हमारे द्वारा लिए गए निर्णय ही होते हैं। हम हर तरह से भौतिक साधनो के द्वारा सुख चाहते है लेकिन वहां तो दुःख ही दुःख हैं। किसी व्यक्ति या वस्तु पर निर्भर रहना आत्मिक रूप से अंधकार है। प्रकाश ज्ञान का होता है, ज्ञान यही है की हम बाहर शांति ढूँढना छोड़ दें।

उद्देश्य किसी के रिश्ते खराब करना नहीं है। लेकिन यदि कोई बीमार हो जाय, उसकी आमदनी आनी रुक जाय जिन्हे वो अपना समझता है, जिन में वो खुशियां ढूंढता था भले ही वो पत्नी हो या संतान या कोई मित्र तो वे दूर हट जाते हैं। इतने रोज तक जो उसने किया वो सब व्यर्थ हो जाता है। तब दुःख होता है। जब हम सिर्फ स्वंय पर निर्भर होते हैं, स्वंय के शरीर पर भी नहीं बल्कि आत्मा पर तो दुःख किसी बात का नहीं। यही तो प्रकाश है। आत्मा और मन जब एक हो जाए तो शांति ही शांति होती है चारों तरफ।

जब शरीर से मोह छूट जाता है तो आत्मा जाग्रत होती है, यही अमरता है। स्वंय को ईश्वर को समर्पित कर देना ही अमरता है।


एक टिप्पणी भेजें