अब मैं सरण तिहारी जी लिरिक्स Aub Me Sharan Tihari Ji Lyrics

अब मैं सरण तिहारी जी लिरिक्स Ab Me Sharan Tihari Ji Lyrics Meera Bhajan Lyrics Hindi मीरा भजन लिरिक्स हिंदी

 
अब मैं सरण तिहारी जी लिरिक्स Aub Me Sharan Tihari Ji Lyrics

अब मैं सरण तिहारी जी, मोहि राखौ कृपा निधान।
अजामील अपराधी तारे, तारे नीच सदान।
जल डूबत गजराज उबारे, गणिका चढ़ी बिमान।
और अधम तारे बहुतेरे, भाखत संत सुजान।
कुबजा नीच भीलणी तारी, जाणे सकल जहान।
कहं लग कहूँ गिणत नहिं आवै, थकि रहे बेद पुरान।
मीरा दासी शरण तिहारी, सुनिये दोनों कान। 
 
Ab Main Saran Tihaaree Jee, Mohi Raakhau Krpa Nidhaan.
Ajaameel Aparaadhee Taare, Taare Neech Sadaan.
Jal Doobat Gajaraaj Ubaare, Ganika Chadhee Bimaan.
Aur Adham Taare Bahutere, Bhaakhat Sant Sujaan.
Kubaja Neech Bheelanee Taaree, Jaane Sakal Jahaan.
Kahan Lag Kahoon Ginat Nahin Aavai, Thaki Rahe Bed Puraan.
Meera Daasee Sharan Tihaaree, Suniye Donon Kaan. 
 
शब्दार्थ : अजामील = एक प्रसिद्ध हरी भक्त। सदान = भक्त सदन कसाई। गजराज = भक्त गजेन्द्र। गणिका = भक्त वेश्या। कुवजा व भीलनी = भक्तों के नाम। भीलनी = शवरी। रावली = आपकी। दोनों कान = भली-भाँति दोनो कान लगाकर।
 
 
Ab mai sharan tihari ji-mohe rakho kripa nidhan-Meerabai ji
म्हांरे घर होता जाज्यो राज।
अबके जिन टाला दे जाओ, सिर पर राखूं बिराज॥

म्हे तो जनम जनम की दासी, थे म्हांका सिरताज।
पावणडा म्हांके भलां ही पधार्‌या, सब ही सुधारण काज॥

म्हे तो बुरी छां थांके भली छै, घणोरी तुम हो एक रसराज।
थांने हम सब ही की चिंता, (तुम) सबके हो गरीबनिवाज॥

सबके मुगट सिरोमणि सिरपर, मानीं पुन्यकी पाज।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बांह गहेकी लाज॥
आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि॥

झूठा माणिक मोतिया री झूठी जगमग जोति।
झूठा आभूषण री, सांची पियाजी री प्रीति॥

झूठा पाट पटंबरा रे, झूठा दिखडणी चीर।
सांची पियाजी री गूदड़ी, जामें निरमल रहे सरीर॥

छपन भोग बुहाय देहे इण भोगन में दाग।
लूण अलूणो ही भलो है अपणे पियाजीरो साग॥

देखि बिराणे निवांणकूं है क्यूं उपजावे खीज।
कालर अपणो ही भलो है, जामें निपजै चीज॥

छैल बिराणो लाखको है अपणे काज न होय।
ताके संग सीधारतां है भला न कहसी कोय॥

बर हीणो अपणो भलो है कोढी कुष्टी कोय।
जाके संग सीधारतां है भला कहै सब लोय॥

अबिनासीसूं बालबा हे जिनसूं सांची प्रीत।
मीरा कूं प्रभुजी मिल्या है ए ही भगतिकी रीत॥
जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं॥
हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं॥

तन मन सुरति संजोइ सीस चरणां धरूं।
जहां जहां देखूं म्हारो राम तहां सेवा करूं॥

सदकै करूं जी सरीर जुगै जुग वारणैं।
छोड़ी छोड़ी लिखूं सिलाम बहोत करि जानज्यौ।
बंदी हूं खानाजाद महरि करि मानज्यौ॥

हां हो म्हारा नाथ सुनाथ बिलम नहिं कीजिये।
मीरा चरणां की दासि दरस फिर दीजिये॥ 

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2 टिप्पणियां

  1. "तारे नीच सदान" में सदान शब्द का अर्थ क्या है, ये कृपा करके बताईए! नमस्ते!!!
  2. "सदन कसाई " तारे नींच सदान से आशय है की "सदन कसाई" का उद्धार भी आपने ही किया है.