हरि गुन गावत नाचूंगी लिरिक्स

हरि गुन गावत नाचूंगी

 
हरि गुन गावत नाचूंगी Hari Gun Gaavat Nachungi Lyrics

हरि गुन गावत नाचूंगी
आपने मंदिरमों बैठ बैठकर।
गीता भागवत बाचूंगी
ग्यान ध्यानकी गठरी बांधकर।
हरीहर संग मैं लागूंगी
मीराके प्रभु गिरिधर नागर।
सदा प्रेमरस चाखुंगी

Hari Gun Gaavat Naachoongee
Aapane Mandiramon Baith Baithakar.
Geeta Bhaagavat Baachoongee
Gyaan Dhyaanakee Gatharee Baandhakar.
Hareehar Sang Main Laagoongee
Meeraake Prabhu Giridhar Naagar.
Sada Premaras Chaakhungee 
 


यह पद मीरा बाई की भक्ति रचनाओं में से एक है, जिसमें उन्होंने भगवान श्री कृष्ण (गिरिधर नागर) के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त किया है।

पद का अर्थ:

हरी गुन गावत नाचूंगी
मैं भगवान के गुण गाते हुए नाचूंगी।

अपने मंदिरों में बैठ-बैठकर।

अपने मंदिरों में बैठकर।

गीता भागवत बाचूंगी
गीता और भागवत का पाठ करूंगी।

ज्ञान ध्यान की गठरी बांधकर।
ज्ञान और ध्यान की गठरी बांधकर।

हरीहर संग मैं लागूंगी
भगवान शिव और भगवान विष्णु के संग मैं मिल जाऊंगी।

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर (भगवान श्री कृष्ण) हैं।

सदा प्रेमरस चाखूंगी
सदैव प्रेमरस का स्वाद लूंगी।

इस पद में मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और समर्पण व्यक्त करती हैं, उनके गुणों का गान करते हुए, गीता और भागवत का अध्ययन करते हुए, ज्ञान और ध्यान की साधना करते हुए, और भगवान के साथ मिलकर प्रेमरस का अनुभव करती हैं।

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