झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग

झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग

 
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग लिरिक्स Jhulat Radha Sang Lyrics

झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥
अबिर गुलालकी धूम मचाई भर पिचकारी रंग॥
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥
लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥
नाचत ताल आधार सुरभर धिमी धिमी बाजे मृदंग॥
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर चरनकमलकू दंग॥
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥

यह पद मीरा बाई की भक्ति रचनाओं में से एक है, जिसमें उन्होंने भगवान श्री कृष्ण (गिरिधर नागर) और राधा की रासलीला का वर्णन किया है।

पद का अर्थ:
झुलत राधा संग गिरिधर झूलत राधा संग॥
राधा के साथ झूलते हुए गिरिधर (भगवान श्री कृष्ण) झूलते हैं।

अबिर गुलाल की धूम मचाई भर पिचकारी रंग॥
अबीर और गुलाल की धूम मचाई, पिचकारी से रंग भर दिए।

लाल भई बिंद्रावन जमुना। केशर चूवत रंग॥
बृजवासी लाल हो गए, यमुना में रंग चूने लगे।

नाचत ताल आधार सुरभर धिमी धिमी बाजे मृदंग॥
ताल पर नाचते हुए, सुरभरी ध्वनि में धीमे-धीमे मृदंग बज रहे हैं।

मीराके प्रभु गिरिधर नागर चरनकमल की दंग॥
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हैं, उनके चरणकमलों पर मैं बलिहारी हूँ।

इस पद में मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण और राधा की रासलीला का वर्णन करती हैं, जिसमें रंगों की होली, नृत्य, संगीत और भक्ति की अभिव्यक्ति है।
 


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