प्रथम श्लोक "जो परम सिंहासन पर विराजमान हैं, जो सम्पूर्ण सृष्टि को मोहित करते हैं, जिनके पवित्र चरणों की सूर्य देवता भी पूजा करते हैं। जो अच्छे विचारों के शत्रुओं का नाश करते हैं और प्रतिदिन ब्रह्मांडीय नृत्य करते हैं। हे हरिहर पुत्र अय्यप्पा, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
द्वितीय श्लोक "जिनका हृदय शरणघोष सुनकर प्रसन्न हो जाता है, जो पूरे ब्रह्मांड के महान शासक हैं, जिन्हें नृत्य प्रिय है और जो उगते हुए सूर्य के समान चमकते हैं। जो सभी जीवों के स्वामी हैं, हे हरिहरपुत्र देव, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
तृतीय श्लोक "जिनकी आत्मा सत्य है, जो सभी आत्माओं के प्रिय हैं, जिन्होंने इस ब्रह्मांड की रचना की है। जो तेजस्वी आभा के साथ चमकते हैं, जो 'ओम्' के वास स्थान हैं और जिन्हें गीतों से प्रेम है। हे हरिहरपुत्र देव, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
चतुर्थ श्लोक "जिनका चेहरा बहुत सुंदर है, जो घोड़े की सवारी करते हैं, जो धनुष और गदा धारण करते हैं। जो गुरु की तरह कृपा प्रदान करते हैं और जिन्हें गीतों से प्रेम है। हे हरिहर के पुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
पंचम श्लोक "जो तीनों लोकों द्वारा पूजित हैं, जो सभी देवताओं के आत्मा हैं, जो शिव के स्वामी हैं और देवताओं द्वारा पूजित हैं। जिन्हें दिन में तीन बार पूजा जाता है और जिनका चिंतन करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। हे हरिहरपुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
षष्ठम श्लोक "जो भय का नाश करते हैं, जो समृद्धि प्रदान करते हैं और जो ब्रह्मांड के मोहितकर्ता हैं। जो पवित्र भस्म को आभूषण की तरह धारण करते हैं और सफेद हाथी पर सवारी करते हैं। हे हरिहरपुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
सप्तम श्लोक "जिनकी मुस्कान मोहक है, जो अत्यंत सुंदर हैं, जो चंदन के लेप से सुशोभित हैं। जो सिंह के समान बलवान हैं और जो बाघ की सवारी करते हैं। हे हरिहर के पुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
अष्टम श्लोक "जो अपने भक्तों के प्रिय हैं, जो इच्छाएँ पूर्ण करते हैं, जिनकी वेदों ने स्तुति की है। जो तपस्वियों के जीवन को आशीर्वाद देते हैं, जो वेदों के सार हैं और जिन्हें दिव्य संगीत प्रिय है। हे हरिहरपुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
हरिवरासनम एक भक्तिपूर्ण अष्टकम है जो भगवान अय्यप्पा की महिमा का वर्णन करता है। इसमें भगवान की करुणा, शक्ति, सुंदरता, और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा का उल्लेख है। इस स्तुति का पाठ भक्तों के मन को शांत करता है और उन्हें भगवान अय्यप्पा की शरण में ले जाता है। “हे हरिहरपुत्र, मैं आपकी शरण में आता हूँ।"
Harivarasanam Lyrics in Malayalam | മലയാളത്തിലെ ഹരിവരാസനം ഗാനത്തിൻ്റെ വരികൾ
ശരണം അയ്യപ്പാ സ്വാമി ശരണം അയ്യപ്പാ । ശരണം അയ്യപ്പാ സ്വാമി ശരണം അയ്യപ്പാ ॥
हरिवरासनम: भगवान अय्यप्पा के लिए विशेष स्तुति हरिवरासनम (Harivarasanam) एक प्रसिद्ध शिवाष्टक है जिसे दक्षिण भारत के केरल राज्य में विशेष रूप से सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पा की स्तुति के लिए गाया जाता है। इसे मंदिर के समापन समारोह के दौरान लोरी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह गीत भक्तों के बीच अपनी मधुरता और भक्ति भाव के कारण बेहद लोकप्रिय है।
इस लेख में हम आपको हरिवरासनम के महत्व, इतिहास और विभिन्न भाषाओं में इसके लिरिक्स (हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, तमिल) के बारे में बताएंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि इसे कैसे और कब गाया जाता है।
हरिवरासनम का महत्व
हरिवरासनम भगवान अय्यप्पा को समर्पित एक स्तुति है। इस गीत का गान भक्तों में एकाग्रता और भक्ति की भावना उत्पन्न करता है।
इसे सबरीमाला मंदिर में प्रतिदिन भगवान अय्यप्पा की मूर्ति के समक्ष मंदिर बंद करने से पहले गाया जाता है।
इसे भगवान अय्यप्पा के भक्तों द्वारा ‘लोरी गीत’ के रूप में माना जाता है।
हरिवरासनम की मूल रचना शिव के लिए की गई थी, लेकिन सबरीमाला में यह भगवान अय्यप्पा के नाम से गाई जाती है।
हरिवरासनम: इतिहास और उत्पत्ति हरिवरासनम के रचयिता के रूप में कई विद्वानों और भक्तों का नाम आता है, लेकिन इसे लोकप्रिय बनाने में स्वामी वर्धमानन का योगदान महत्वपूर्ण है। सबरीमाला मंदिर में यह गीत 20वीं शताब्दी में लाया गया और धीरे-धीरे यह मंदिर का अभिन्न हिस्सा बन गया।
हरिवरासनम के पाठ के लाभ
यह गीत सुनने या गाने से मानसिक शांति और ध्यान में सहायता मिलती है।
भगवान अय्यप्पा के प्रति भक्ति और समर्पण को गहरा करता है।
हरिवरासनम का उच्चारण वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है।
मंदिर समापन के समय इसे गाने से दिन का समापन शुभ तरीके से होता है।
हरिवरासनम एक अद्वितीय भक्ति गीत है, जो भगवान अय्यप्पा की दिव्यता और कृपा का प्रतीक है। इसे सबरीमाला मंदिर में लोरी के रूप में गाया जाता है और यह दक्षिण भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। इसका पाठ आपके जीवन में भक्ति, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक हो सकता है। “हरिवरासनम गाएँ, भक्ति का अनुभव करें और भगवान अय्यप्पा की कृपा प्राप्त करें।”
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