किनका एक किनका जिस जी बसावे
किनका एक किनका जिस जी बसावे,
ताकि महिमा गनी ना आवे,
महिमा गनी ना आवे,
किनका एक किनका जिस जी बसावे
सिमरो सिमर सिमर सुख पाओ,
कल क्लेश तन माध मिटाओ,
किनका एक किनका जिस जी बसावे
सिमरो जास वसंभर एके,
नाम जपत आगंत अनेके,
किनका एक किनका जिस जी बसावे
वेद पराण सिमरत सुध्याकार,
तिने राम नाम एक आखर,
किनका एक किनका जिस जी बसावे
काकी एके दरस तु्हारो,
नानक उन संग मोह उतारो,
किनका एक किनका जिस जी बसावे
बाणी ,शबद, कीर्तन का महत्त्व : शबद कीर्तन सुनने मात्र से ही हम उस परम सत्ता के नजदीक आ जाते हैं। शुरू में हो सकता है हमारा मन विचलित हो, इधर उधर भटकने लगे, लेकिन समय के साथ साथ हम विकारों से दूर होते चले जाते हैं और उस परम सत्ता के चरणों का सुख प्राप्त करने लगते हैं। ये एक अभ्यास है जिसके माध्यम से हम स्वंय को जान पाते हैं और सच मानिये अवगुण दूर होते चले जाते हैं और हमारा मन निर्मल होने लगता है। जब मन विषय, वासनाओं से ऊपर उठने लगता है तो हम स्वंय को ज्यादा जान पाते हैं और स्वंय अनुशाषित हो जाते हैं। इसे यूँ समझिये की ईश्वर के नजदीक पहुंच जाते हैं आप कीर्तन के माध्यम से। शबद और कीर्तन जीवन का आधार हैं जिनके महत्त्व को हमें समझना चाहिए।
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