मन रे परसि हरि के चरण लिरिक्स Man Re Parsi Hari Ke Charan Lyrics Meera Bhajan

मन रे परसि हरि के चरण लिरिक्स Man Re Parsi Hari Ke Charan Lyrics Meera Bhajan 

 
मन रे परसि हरि के चरण लिरिक्स Man Re Parsi Hari Ke Charan Lyrics Meera Bhajan

मन रे परसि हरि के चरण।
सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण।
जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥
जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥
जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण।
जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥
जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण।
दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण॥

Man Re Parasi Hari Ke Charan.
Subhag Seetal Kanval Komalatrividh Jvaala Haran.
Jin Charan Prahalaad Parase Indr Padavee Dharan.

Jin Charan Dhruv Atal Keenhe Raakh Apanee Saran.
Jin Charan Brahmaand Bhetayo Nakhasikhaan Sir Dharan.

Jin Charan Prabhu Parasi Leene Teree Gotam Gharan.
Jin Charan Kaaleenaag Naathyo Gop Leela-karan.

Jin Charan Gobaradhan Dhaar.hyo Garv Maghava Haran.
Daasi Meera Laal Giradhar Agam Taaran Taran.


 
यहाँ मीरा बाई कहती है की उन्हें भक्ति मार्ग से विचलित करने के लिए एक और राणा जी के द्वारा उन्हें जहर दिया गया वही दूसरी और समाज में भी उन्हें लोक लाज का हवाला दिया गया, लेकिन मीरा बाई ने इसे पानी की तरह बहा दिया अर्थात उनकी कोई परवाह नहीं की। उन्होंने अपने पति की निशानियों त्याग कर दिया  और लिखा मीरा कहती हैं की में किसी के रोकने से रुकने वाली नहीं हूँ। मैंने तो कुल की कानि / मर्यादा को मैंने त्याग कर दिया है और मैंने सबकुछ हरी को ही मान लिया है। 

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1 टिप्पणी

  1. Permatma ke satya me marg ka jo Jane wake sunder bajan hai. Guru mahraj ki hai ho.