क्यों आ के रो रहा है गोविन्द की गली में लिरिक्स Kyo Aake Ro Raha Hai Govind Ki Gali Me Lyrics
क्यों आ के रो रहा है, गोविन्द की गली में।हर दर्द की दवा है, गोविन्द की गली में॥
तू खुल के उनसे कह दे, जो दिल में चल में चल रहा है,
वो जिंदगी के ताने बाने जो बुन रहा है।
हर सुबह खुशनुमा है, गोविन्द की गली में॥
तुझे इंतज़ार क्यों है, किसी इस रात की सुबह का,
मंजिल पे गर निगाहें, दिन रात क्या डगर क्या।
हर रात रंगनुमा है, गोविन्द की गली में॥
कोई रो के उनसे कह दे, कोई ऊँचे बोल बोले,
सुनता है वो उसी की, बोली जो उनकी बोले।
हवाएं अदब से बहती हैं, गोविन्द की गली में॥
दो घुट जाम के हैं, हरी नाम के तू पी ले,
फिकरे हयात क्यों है, जैसा है वो चाहे जी ले।
साकी है मयकदा है, गोविन्द की गली में॥
इस और तू खड़ा है, लहरों से कैसा डरना,
मर मर के जी रहा है, पगले यह कैसा जीना।
कश्ती है ना खुदा है, गोविन्द की गली में॥
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क्यों आ के रो रहा है गोविन्द की गली में लिरिक्स Kyo Aake Ro Raha Hai Govind Ki Gali Me Lyrics
Kyon Aa Ke Ro Raha Hai, Govind Kee Galee Mein.
Har Dard Kee Dava Hai, Govind Kee Galee Mein.
Too Khul Ke Unase Kah De, Jo Dil Mein Chal Mein Chal Raha Hai,
Vo Jindagee Ke Taane Baane Jo Bun Raha Hai.
Har Subah Khushanuma Hai, Govind Kee Galee Mein.
Tujhe Intazaar Kyon Hai, Kisee Is Raat Kee Subah Ka,
Manjil Pe Gar Nigaahen, Din Raat Kya Dagar Kya.
Har Raat Ranganuma Hai, Govind Kee Galee Mein.
Koee Ro Ke Unase Kah De, Koee Oonche Bol Bole,
Sunata Hai Vo Usee Kee, Bolee Jo Unakee Bole.
Havaen Adab Se Bahatee Hain, Govind Kee Galee Mein.
Do Ghut Jaam Ke Hain, Haree Naam Ke Too Pee Le,
Phikare Hayaat Kyon Hai, Jaisa Hai Vo Chaahe Jee Le.
Saakee Hai Mayakada Hai, Govind Kee Galee Mein.
Is Aur Too Khada Hai, Laharon Se Kaisa Darana,
Mar Mar Ke Jee Raha Hai, Pagale Yah Kaisa Jeena.
Kashtee Hai Na Khuda Hai, Govind Kee Galee Mein॥
चेतावनी भजन : चेतावनी भजन का का मूल विषय व्यक्ति को उसके अवगुणों के बारे में सचेत करना और सत्य की राह पर अग्रसर करना होता है। राजस्थानी चेतावनी भजनो का मूल विषय यही है। गुरु की शरण में जाकर जीवन के उद्देश्य के प्रति व्यक्ति को सचेत करना ही इनका भाव है। चेतावनी भजनों में कबीर के भजनो को क्षेत्रीय भाषा में गया जाता है या इनका कुछ अंश काम में लिया जाता है। Har Dard Kee Dava Hai, Govind Kee Galee Mein.
Too Khul Ke Unase Kah De, Jo Dil Mein Chal Mein Chal Raha Hai,
Vo Jindagee Ke Taane Baane Jo Bun Raha Hai.
Har Subah Khushanuma Hai, Govind Kee Galee Mein.
Tujhe Intazaar Kyon Hai, Kisee Is Raat Kee Subah Ka,
Manjil Pe Gar Nigaahen, Din Raat Kya Dagar Kya.
Har Raat Ranganuma Hai, Govind Kee Galee Mein.
Koee Ro Ke Unase Kah De, Koee Oonche Bol Bole,
Sunata Hai Vo Usee Kee, Bolee Jo Unakee Bole.
Havaen Adab Se Bahatee Hain, Govind Kee Galee Mein.
Do Ghut Jaam Ke Hain, Haree Naam Ke Too Pee Le,
Phikare Hayaat Kyon Hai, Jaisa Hai Vo Chaahe Jee Le.
Saakee Hai Mayakada Hai, Govind Kee Galee Mein.
Is Aur Too Khada Hai, Laharon Se Kaisa Darana,
Mar Mar Ke Jee Raha Hai, Pagale Yah Kaisa Jeena.
Kashtee Hai Na Khuda Hai, Govind Kee Galee Mein॥
देसी भजन : देसी भजनों में देसज भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसमें छंद, गीत शैली आदि का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता है और उद्देश्य होता है की सहज भाषा में लोगों तक सन्देश पहुंच जाय। राग का भी कोई विशेष नियम नहीं होता है। क्षेत्रीय स्तर पर प्रचलित वाद्य यंत्रों का प्रयोग इनमे किया जाता है। जैसे राजस्थान में रावण हत्था एक वाद्य यन्त्र है इस पर सुन्दर तरीके से भजनो को गाय जाता है। इसके साथ में अन्य वाद्य यंत्रों की अनिवार्यता नहीं होती है। विशेष बात है लोगों तक सन्देश को पहुंचना। लोक गीत पुरे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके इनके माध्यम से पुरे समाज के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। देसी भजनों के तो देवताओं की स्तुति होती है और एक चेतावनी भजन जिनमे गुरु भजन और व्यक्ति को सद्मार्ग के अनुसरण सबंधी भजन होते हैं। राजस्थानी चेतावनी भजनों में कबीर भजनों का प्रमुख योगदान हैं जिन्हे क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित करके या फिर उनके कुछ अंश को कार्य में लिया जाता है। चेतावनी भजन अलग अलग अंचल के भिन्न हैं। हेली भजन चेतावनी भजनों का ही एक प्रकार है। कर्मा भाई के भजन अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
नाथ पंत भजन और मीरा भजन भी देसी भजनों की श्रृंखला में ही गिने जाते हैं। मीरा के भजन जहाँ कृष्ण भक्ति से सरोबार हैं वही नाथ जी की भजनों में विभिन्न देवताओं की स्तुति के आलावा गुरु गोरखनाथ के भजन प्रमुख हैं। मीरा बाई के पदों के अलावा कबीर, दादू, रैदास, चंद्रस्वामी तथा बख्तावरजी के पद भजनों के द्वारा गाये जाते हैं। देवताओं के भजनों में विनायक, महादेव, विष्णु, राम, कृष्ण, बालाजी (हनुमान), भैंरू, जुंझार, पाबू, तेजा, गोगा, रामदेव, देवजी, रणक दे, सती माता, दियाड़ी माता, सीतला माता, भोमियाजी आदि के भजन प्रमुखता से गाये जाते हैं। इन भजनों को अंचल विशेष में कुछ जातियों के द्वारा इन्हे गाना ही उनका काम होता है।
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