मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई, दीनगुरु अलख लखाया परम प्रकाश पुंज ज्ञान घन परम प्रकाश पुंज ज्ञान घन घट भीतर दर्शाया मोरा साधू भाई घट भीतर दर्शाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया मन बुद्धि मन बुद्धि वाणी नहीं पहुंचे वेद कहत सकुचाया मोरा साधू भाई वेद कहत सकुचाया आर पार के एक अखंडी आर पार के एक अखंडी नेति नेति कह गाया मोरा साधू भाई नेति नेति
कह गाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया तिल में तेल काष्ठ में अगन तिल में तेल और काष्ठ में अगन पय में घृत समाया मोरा साधू भाई पय में घृत समाया शबद में अर्थ शबद में अर्थ पदार्थ पद में शबद में अर्थ पदार्थ पद में स्वर में राग समाया मोरा साधू भाई स्वर में राग समाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया बीज में अंकुर तरु, जड़, शाखा बीज में अंकुर तरु, जड़, शाखा पात, फूल, फल, छाया मोरा साधू भाई पात, फूल, फल, छाया यूं आतम में
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
है परमातम यूं आतम में है परमातम जीव, ब्रह्म और माया मोरा साधू भाई जीव, ब्रह्म और माया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया जप, तप, नेम व्रत और पूजा जप, तप, नेम व्रत और पूजा सब जंजाल छुड़ाया मोरा साधू भाई सब जंजाल छुड़ाया कहे कबीरा कहे कबीरा कहे कबीर कृपालु कृपा कर कहे कबीर कृपालु कृपा कर निज स्वरुप दर्शाया मोरा साधू भाई निज स्वरुप दर्शाया मोरा साधू भाई निज स्वरुप दर्शाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया परम प्रकाश
पुंज ज्ञान घन परम प्रकाश पुंज ज्ञान घन घट भीतर दर्शाया मोरा साधू भाई घट भीतर दर्शाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई साधो, ब्रह्म अलख लखाया, जब आप आप दरसाया । बीज-मद्ध ज्यों बृच्छा दरसै, बृच्छा मद्धे छाया ॥ ज्यों नभ-मद्धे सुन्न देखिये, सुन अनंत आकारा । निःअच्छरते अच्चर तैसे, अच्छर छर बिस्तारा ॥ ज्यों रबि-मद्धे किरन देखिय, किरन मद्ध परकासा । परमातम में जीव ब्रह्म इमि, जीव-मद्ध तिमि स्वाँसा ॥ स्वाँसा-मद्धे शब्द देखिए, अर्थ शब्द के माहीं । ब्रह्मते जीव जीवते मन यों, न्यारा मिला सदा ही ॥ आपहि बृच्छ बीज अंकूरा, आप फूल-फल छाया । आपहि सूर किरन परकासा, आप ब्रह्म जिउ माया ॥ अनंताकार सुन्न नभ आपै, स्वाँस शब्द अरथाया । निःअच्छर अच्छर छर आपै, मन जीव ब्रह्म समाया ॥ आतम में परमातम दरसे, परमातम में झाँईं । झाँईं में परछाईं दरसै, लखै कबीरा साँईं ॥
सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई दीनगुरु अलख लखाया सतगुरु अलख लखाया मोरा साधू भाई, दीनगुरु अलख लखाया परम प्रकाश पुंज ज्ञान घन परम प्रकाश
English translation of the song -
The guru made the unknown known That stash of light, that cloud of wisdom He showed me within the body, oh brother The guru made the unseen visible
Mind, intellect, speech can’t reach there Scriptures stutter to speak of it The indivisible permeates everything He sang of it as ‘Not this, not this’ The heart-guru made the unknown known
Shiva, Sankadik, Brahma wring their hands As Hari eludes their grasp, oh seeker Vashisht and Vyas couldn’t reason it out No one plumbed its depths, oh brother The true guru made the unseen visible
Like oil in seed, like fire in wood Like ghee hidden in milk, oh seeker Meaning in word, matter in material Like melody in the note, oh brother The guru brought to light the invisible
In the seed is shoot, tree, branch and root Leaf, flower, fruit and shade, oh seeker So the self contains the Supreme Being, divinity and all creation, brother The true guru made the unseen visible
Chants, postures, fasts and prayers He freed me of this muddle, oh seeker Kabir says, the gracious one gave grace He showed me my true self, oh brother The heart-guru made the unknown known