मन लागो मेरो यार फकीरी में
मन लागो मेरो यार फकीरी में
जो सुख पावो राम भजन में,
सो सुख नाही अमीरी में ॥
भला बुरा सब का सुन लीजै,
कर गुजरान गरीबी में ॥
प्रेम नगर में रहिनी हमारी,
भली बन आई सबुरी में ॥
हाथ में खूंडी, बगल में सोटा,
चारो दिशा जागीरी में ॥
आखिर यह तन ख़ाक मिलेगा,
कहाँ फिरत मगरूरी में ॥
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
साहिब मिले सबुरी में ॥
Kabir Ke Bhajan | Man Lago Mero Yaar Fakiri Mein | Kabir Ke Dohe
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।
|