मुझे मैया के दरबार में ठिकाना भजन

मुझे मैया के दरबार में ठिकाना मिल गया भजन

(मुखड़ा)

मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया,
मुझे ठिकाना मिल गया,
कहीं भी लागे न जिया,
मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया।।
(अंतरा)

जो भी तेरी शरण में आए,
खाली नहीं वो लौट के जाए,
मैं भी आया सोच कर,
चरणों में पड़ा हूँ।

मुझको भी तेरे दर पे,
आज आना हो गया,
मुझे ठिकाना मिल गया,
कहीं भी लागे न जिया,
मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया।।

शक्ति तेरी, क्या सब जग जानी,
दुखड़ा सुनो, हे अंबे भवानी,
भटक रहा मैं दर-बदर,
मिले न ठिकाना।

तेरे दर पे मुझे आना,
एक जमाना हो गया,
मुझे ठिकाना मिल गया,
कहीं भी लागे न जिया,
मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया।।

सुख में तुझे कोई याद न करता,
दुख आए तो तेरे शरण में पड़ता,
ये दुख भी हो जीवन में जो,
तेरी याद आए।

ये दुख तो जीवन का,
बस एक बहाना हो गया,
मुझे ठिकाना मिल गया,
कहीं भी लागे न जिया,
मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)

मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया,
मुझे ठिकाना मिल गया,
कहीं भी लागे न जिया,
मुझे मैया के दरबार में,
ठिकाना मिल गया।।
 


Mujhe maiya ke darbar ka thikana mil gya singer Rupesh Choudhary
Next Post Previous Post