राम कहने से तर जाएगा
पार भव से उत्तर जायेगा
उस गली होगी चर्चा तेरी
जिस गली से गुजर जायेगा
राम कहने से तर जाएगा
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला
कल ना जाने किधर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
अपना दामन तो फैला ज़रा
कोई दातार भर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
सब कहेंगे कहानी तेरी
जब इधर से उधर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
याद आएगी चेतन तेरी
काम ऐसा जो कर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
पार भव से उत्तर जायेगा
उस गली होगी चर्चा तेरी
जिस गली से गुजर जायेगा
राम कहने से तर जाएगा
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला
कल ना जाने किधर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
अपना दामन तो फैला ज़रा
कोई दातार भर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
सब कहेंगे कहानी तेरी
जब इधर से उधर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
याद आएगी चेतन तेरी
काम ऐसा जो कर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
Raam Kahane Se Tar Jaega
Paar Bhav Se Uttar Jaayega
Us Galee Hogee Charcha Teree
Jis Galee Se Gujar Jaayega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Badee Mushkil Se Nar Tan Mila
Kal Na Jaane Kidhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Apana Daaman To Phaila Zara
Koee Daataar Bhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Sab Kahenge Kahaanee Teree
Jab Idhar Se Udhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Yaad Aaegee Chetan Teree
Kaam Aisa Jo Kar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Paar Bhav Se Uttar Jaayega
Us Galee Hogee Charcha Teree
Jis Galee Se Gujar Jaayega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Badee Mushkil Se Nar Tan Mila
Kal Na Jaane Kidhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Apana Daaman To Phaila Zara
Koee Daataar Bhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Sab Kahenge Kahaanee Teree
Jab Idhar Se Udhar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
Yaad Aaegee Chetan Teree
Kaam Aisa Jo Kar Jaega
Raam Kahane Se Tar Jaega
श्री राम जी का दिव्य मंत्र :
श्री राम, जय राम, जय जय राम
मन्त्र की व्याख्या : यह मंत्र उच्चारण में बहुत ही सरल है लेकिन इसके प्रभाव बहुत शक्तिशाली है।
श्रीराम : यहाँ जातक भगवान् श्री राम को पुकारलगाता है।
जय राम : यह श्री राम की स्तुति है।
जय जय राम:यहाँ जातक श्री राम के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाता है।
जीवन के तीन गन सत, रज और तम समस्त बंधनों के कारक हैं। इस मंत्र से इन तीनो पर विजय प्राप्त की जाती है।
स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए।
स्त्रोत : किसी भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है। स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।
मन्त्र : मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है। मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को < भी मन्त्र कहा जाता है। इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए। सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है।
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श्री राम, जय राम, जय जय राम
मन्त्र की व्याख्या : यह मंत्र उच्चारण में बहुत ही सरल है लेकिन इसके प्रभाव बहुत शक्तिशाली है।
श्रीराम : यहाँ जातक भगवान् श्री राम को पुकारलगाता है।
जय राम : यह श्री राम की स्तुति है।
जय जय राम:यहाँ जातक श्री राम के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाता है।
जीवन के तीन गन सत, रज और तम समस्त बंधनों के कारक हैं। इस मंत्र से इन तीनो पर विजय प्राप्त की जाती है।
स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए।
स्त्रोत : किसी भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है। स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।
मन्त्र : मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है। मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को < भी मन्त्र कहा जाता है। इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए। सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है।
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