उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स Uth Jaag Musafir Bhor Lyrics

उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स Uth Jaag Musafir Bhor Lyrics

 
उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स Uth Jaag Musafir Bhor Lyrics

उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो जागत है वो पावत है
उठ नींद से अँखियाँ खोल ज़रा
और अपने प्रभु से ध्यान लगा
ये प्रीत करन की रीत नहीं
ये प्रीत करन की रीत नहीं
प्रभु जागत है तू सोवत है
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो कल करना है आज करले
जो आज करे सो अब करले
अब पछताये का होवत है
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है


उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहा जो सोवत है : सत्संगी भजन :Uth Jaag Musafir Bhor Bhai

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