अगर मांगने गया कही तो जाये तुम्हारी
मेरी इज्जत क्या जाये मेरी जात भिखारी की
इज्जत सारी दुनिया में माँ तेरी दातारि की
अगर मांगने गया कही तो जाये तुम्हारी शान जी
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
जाये बात तुम्हारी जी जाये नहीं भिखारी की
मैया मेरी झोली पे छाप लगी सरकारी की
बात मेरी इज्जत की नहीं है बात तेरे समान की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
तू है जग की सेठानी सारे जग में हला है
जो भी दर पे आता भरती उसका पल्ला है
झोली भर नहीं पाये तो ये सेठानी किस काम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
कल मैं मांगने आया था आज भी मांग ने आता हूँ
जितना मुझको देती हो घर का काम चलाता हूँ
इतना देदे मेरी ज़िंदगी हो जाये आराम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
किसी को थोड़ा थोड़ा जी किसी को जयदा जयदा जी
मारे शर्म के वनवारी तुजसे पूछ न पाता जी
अलग अलग क्या छाप लगाई तूने अपने नाम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
इज्जत सारी दुनिया में माँ तेरी दातारि की
अगर मांगने गया कही तो जाये तुम्हारी शान जी
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
जाये बात तुम्हारी जी जाये नहीं भिखारी की
मैया मेरी झोली पे छाप लगी सरकारी की
बात मेरी इज्जत की नहीं है बात तेरे समान की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
तू है जग की सेठानी सारे जग में हला है
जो भी दर पे आता भरती उसका पल्ला है
झोली भर नहीं पाये तो ये सेठानी किस काम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
कल मैं मांगने आया था आज भी मांग ने आता हूँ
जितना मुझको देती हो घर का काम चलाता हूँ
इतना देदे मेरी ज़िंदगी हो जाये आराम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
किसी को थोड़ा थोड़ा जी किसी को जयदा जयदा जी
मारे शर्म के वनवारी तुजसे पूछ न पाता जी
अलग अलग क्या छाप लगाई तूने अपने नाम की
इस झोली पे छाप लगी है तेरे झुँझन धाम की
Agar Maangne Gaya Kahin~ अगर मांगने गया कहीं || RaniSati Dadi Bhajan || Saurabh Madhukar
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