रोवे क्यों भगत तू होवे क्यों अधीर
रोवे क्यों भगत तू होवे क्यों अधीर
दादी से केह दे तेरी मनडे रे प्रीत
दुःख देने वाली दुनिया दुःख के मिटा सी
तेरा आँसू पोहचन ताई कौन है जो आई सी
तेरा सबा प्यारा गा सी तेरे से ही दूर
दादी से केह दे तेरी मन रे प्रीत
माँ बेटा की जग में प्रीत है साँची
दुःख में है दादी तेरो साथ निभा सी
या ही बदल सी तेरी हाथ की लकीर
दादी से केह दे तेरी मन रे प्रीत
तेरी हर सुख और दुःख की इन्हे तो खबर है
अपने भगत के रहे सोनू या निजर है
बात ये देखि तेरी तू ही करे देर
दादी से केह दे तेरी मन रे प्रीत
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