दादी इतनी किरपा करिये दर ते आवता
दादी इतनी किरपा करिये
दर ते आवता रवा
मैं तो थारे दरबार से मांगता रहा
थोड़ो थोड़ो देवो दादो
बार बार आवेगा
दादी तने मीठा मीठा
भजन सुनवागा
माहरी झोली इतनी
भरिये मैं भी बांटता रवा
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा
एक बार में देवो दातो
आन को नि पावागा
मोह माया के जाल में माँ
मैं भी फस जावा गा
शुभम रूपम ने भी
हाज़री लगावता रवा
लगावता रवा
मैं तो थारे दरबार से माँ मांगता रवा
दर ते आवता रवा
मैं तो थारे दरबार से मांगता रहा
थोड़ो थोड़ो देवो दादो
बार बार आवेगा
दादी तने मीठा मीठा
भजन सुनवागा
माहरी झोली इतनी
भरिये मैं भी बांटता रवा
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा
एक बार में देवो दातो
आन को नि पावागा
मोह माया के जाल में माँ
मैं भी फस जावा गा
शुभम रूपम ने भी
हाज़री लगावता रवा
लगावता रवा
मैं तो थारे दरबार से माँ मांगता रवा
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Author - Saroj Jangir
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