जोगी मन नहीं रंगाया रंगाया कपड़ा प्रहलाद सिंह टिपणिया
कहे कबिरवा पलकों
पल पल ना पावे कोय
समर्थ नाम कबीर को
मन नि रंगाया
ओ जोगी
रंगाया कापड़ा
रंगाया कपडा
हो, रंगाया कपड़ा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा
जाय जंगल जोगी
धुनी रमाई
राख लागाई
ने होया गधेदा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा
जाई जंगल जोगी
जटा बधाई
दाढ़ी रखाई ने
होया बकरा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा
जाई जंगल जोगी
गुफा बनायी रे
गुफा बनायी ने
होया उन्दरा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा
दूध पिएगा जोगी
बालक बचबा रह्य
कामी जडाई
होया हिंजड़ा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा
कहे कबीर सुनो भाई साधू
जम के द्वार रे
मचाया झगडा
जोगी
मन नहीं रंगाया
रंगाया कपड़ा कहे कबिरवा पलकों
पल पल ना पावे कोय
समर्थ नाम कबीर को
मन नि रंगाया
ओ जोगी
रंगाया कापड़ा
रंगाया कपडा
Kabir bhajan:जोगी मन ने रगाया रगाया कपड़ा live by paraliya sir ji and (डॉ. साहब)
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