विषय वासना में उरझ कर जनम गवाया अब पछतावा क्या करे तू निज करनी कर याद के खाना के सोवना और ना कोई हित सद्गुरु बिचारिया और आदि अंत का मीत दिवस गवांया खाय के रात गवाई सोय तेरा हीरा जनम अमोल था कोड़ी बदले खोय
घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग पहले सोयो माता के गर्भ में औंधे मुख तू झूला कॉल किया था भजन करूँगा भाहर आकर भुला जनम थारो, हो गया रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
दूजे सोयो माता की गोद में दूध पीया रे मुस्काया दूजे सोयो माता की गोद में
Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
दूध पीया रे मुस्काया मल मूत्र तेरे धोया बहन भुआ थारा लाड लड़ावे झूला दिया बधाई बँधावो थारो हो गया रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
तीजे सोयो त्रिरिया की सेज पे बैंया में बैंया डाली मोह मद में भूल गयो भूल गया सब काल ब्याव थारो हो गयो रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
चिता को सोणु बाकी रहिगो सब जग लियो है सोई कहे कबीर थारे जागण तू जाग्यो नहीं गंवार मरण थारो हो गया रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
चौथे सोये जाय समसाने लम्बा पेअर पसारी कहे कबीर थे जगण के रे तू जाग्यो नहीं गंवार मरण थारो हो गया रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग पहले सोयो माता के गर्भ में औंधे मुख तू झूला कॉल किया था भजन करूँगा भाहर आकर भुला जनम थारो हो गया रे घणा दिन सो लिया अब तू जाग मुसाफिर जाग
Prahlad Singh Tipanya | Ghana Din So Liyo Re Ab Tu Jaag Musafir Jaag | Kabir Bhajan