मेरे हद की सरहदे मेरे मौला आके

मेरे हद की सरहदे मेरे मौला आके जरा मिटा दो

 
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला आके जरा मिटा दो लिरिक्स Had Ki Sarhaden Lyrics

साहिब तमारी साहिबी, सब घट रही समाय,
मेहंदी के रे पात में, लाली लखी नहीं जाय।
(साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय
ज्यों मेहंदी के पात में, लाली लखी न जाय)
अलख ईलाही एक है नाम धराया दोय,
कहै कबीर दो नाम सुनि भरम पड़ो मत कोय,
राम रहीमा एक है, नाम धराया दोय,
अंतर टाटी भरम की, यासे सूझे दोय।
मोरे साहिब, ओ मोरे मौला,
ओ मोरे बाबा, ओ मेरे साहिब।

भजन
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आ के जरा मिटा दो,
खो गया हूँ इस नगरी में, जरा रोशनी दिखा दो,
खो गया हूँ इस नगरी में, जरा रोशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
काया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो।

तड़पा हूँ कबसे मैं तो, खुद ही की तारीकी में,
बेहद का नूर फैला, बस तेरी आशिकी में,
बेहद का नूर फैला, बस तेरी आशिकी में,
तुम जानते हो मुझको, आग़ोश में छुपा लो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे दाता, आके जरा मिटा दो,
गुम गया हूँ, इस नगरी में, ज़रा रौशनी दिखा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो।

ढूँढा है मैंने तुमको, पूजा के दायरों में,
तुम साथ ही हो मेरे, देखा जो आईने में,
भटका हुआ है राही, मंजिल जरा दिखा दो,
भटका हुआ है राही, मंज़िल जरा दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो।

मेरी आरज़ू तुम्ही हो, मेरी आबरु तुम्हीं हो,
मेरे दिल की धड़कनों में साहिब, जुस्तजू तुम्ही हो,
मेरे दिल की धड़कनों में साहिब, जुस्तजू तुम्ही हो,
अब खलबली इतनी, अब तो मुझे खला दो,
अब खलबली इतनी, अब तो मुझे ख़ला दो,
ये अर्ज है कमल की साहिब, दिल में मेरे तुम बसा लो,
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो।
भजन श्रेणी : कबीर भजन 
 

Padmashri Prahlad Singh Tipanya | Had Ki Sarhaden | Kabir Bhajan

Saahib Tamaari Saahibi, Sab Ghat Rahi Samaay,
Mehandi Ke Re Paat Mein, Laali Lakhi Nahin Jaay.
(Saahib Teri Saahibi, Sab Ghat Rahi Samaay
Jyon Mehandi Ke Paat Mein, Laali Lakhi Na Jaay)
Alakh ilaahi Ek Hai Naam Dharaaya Doy,
Kahai Kabir Do Naam Suni Bharam Pado Mat Koy,
Raam Rahima Ek Hai, Naam Dharaaya Doy,
Antar Taati Bharam Ki, Yaase Sujhe Doy.
More Saahib, O More Maula,
O More Baaba, O Mere Saahib.
 
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