किण संग करां स्नेह लिरिक्स Kin Sang Kara Sneh Lyrics

किण संग करां स्नेह लिरिक्स हिंदी Kin Sang Kara Sneh Lyrics Hindi Devotional Bhajan Lyrics Hindi

 
किण संग करां स्नेह लिरिक्स Kin Sang Kara Sneh Lyrics

पान पड़ंते यूं कह्यो
कि सुन तरुवर बनराय
अब के बिछड़े कब मिलें
दूर पड़ेंगे जाय
तो आग लगी इस वृक्ष को
और जलन लगे सब पात
तुम क्यों जलो पंखेरुओं
पंख तुम्हारे पास
फल फुल खादे इस वृक्ष के
और बीट पड़ी है पात
उड़ना हमारा धर्म नहीं
और जलना वृक्ष, के साथ
हेलिए किण संग करां मैं स्नेह
संगत कीजो धरमी साध री
संगत कीजो निर्मळ साध री
बांस उगो इना बाग़ मां,
थरक रही बन राय
आप जले औरन के जाले,
अग्नि घणी अंग मांय
किण संग करां स्नेह
चंदन उगो इना बाग़ मां,
हरख रही बन राय
चंदन पास मैं जाऊं,
आप चंदन हुई जाऊं
किण संग करां स्नेह
दव लागो इना बाग़ मां,
पंछी बैठो आये
हम जले पंख बहीरो,
तम उड़ी परे को जाए
किण संग करां स्नेह
फल खादा पान बिरोड़िया,
रमिया डालो डाल
तम जलो मैं उभरूं,
जीवनो कितरीक बार
किण संग करां स्नेह
दव बुझ्यो झाड़ा मेटिया, दूधे बूठा मेह
कहत कबीरा धर्मिदास से,
नित नित नवलो नेह
किण संग करां स्नेह।
हरख रही बन राय
चंदन पास मैं जाऊं,
आप चंदन हुई जाऊं
किण संग करां स्नेह

Kabir Bhajans are devotional songs that were written by the 15th-century Indian poet and mystic, Kabir. His Bhajans are known for their simplicity, depth of spiritual insight, and the use of everyday language that is accessible to people from all walks of life.


किण संग करू स्नेह _ हेली भजन _ दादू वाणी भजन || kin sang karu shneh _heli bhajan_dadu wani bhajan 


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