हिये कायां में बर्तन माटी रो हिंदी मीनिंग Hiye Kaya Me Bartan Mati Ro

हिये कायां में बर्तन माटी रो हिंदी मीनिंग Hiye Kaya Me Bartan Mati Ro Hindi Meaning with Lyrics Rajasthani Folk Song

हिये कायां में बर्तन माटी रो हिंदी मीनिंग Hiye Kaya Me Bartan Mati Ro Hindi Meaning with Lyrics Rajasthani Folk Song


हिये कायां में बर्तन माटी रो
Hiye kaaya mein bartan maati ro

यह शरीर कच्ची मिट्टी के बर्तन के माफ़िक नाजुक है, छोटे से झटके से टूट जाता है। यह कब टूट जाए, किसे पता। जीवन के इस पहलू की और इशारा करते हुए कबीर साहेब का ईशारा इस ओर है की जीवन स्थायी नहीं है और ना ही यह कब समाप्त होगा इसका किसी को पता है। फिर स्थायी क्या है ? सत्य ही स्थायी है और सत्य ईश्वर है। उसका सुमिरन ही जीवन के इस फेर से मुक्ति दिला सकता है। 

हिये देहि मैं
Hiye dehi mein

इस देह में मिटटी के बर्तन हैं , यह देह अस्थायी है और कब साथ छोड़ दे, किसे पता है। 

हिये कयां में बर्तन माटी रो
Hiye kaaya mein bartan maati ro

यह देह नश्वर है, और स्थायी नहीं है। इसे स्थायी समझ कर जीवन के उद्देश्य को भूल जाना ही 'माया' है। 

फूटी जासे नहीं करें रणको
Phooti jaase nahin kare ranako
यह देह रूपी बर्तन कब टूट जाए किसी को पता नहीं है क्यों की यह टूटने पर कोई आवाज (रणको ) भी नहीं करती है। यह स्थायी नहीं है और यह कब तक साथ निभाएगा यह भी किसी को पता नहीं है। यह देह किसी भी क्षण साथ छोड़ सकती है। इसलिए देह को अपना समझना भी मूर्खता ही है। नाम सुमिरन ही जीवन का आधार है। 

साहिब हमको डर लागे रे एक दिन रो
Sahib hamko darr laage ek din ro

हमें डर लगता है, क्यों ? क्यों की हमने इस में अपना 'जी', 'मन' लगा लिया है और इससे आसक्ति कर बैठे हैं। हम मालिक का सुमिरन भूल गए हैं और डर है की यह बर्तन जब भी टूटेगा तो मालिक को क्या मुंह दिखाएँगे क्यों की यह जीवन तो हमने माया के जाल में पड़कर बर्बाद कर दिया है। 

एक ही दिन रो, घड़ी पलक रो
Ek hi din ro, ghadi palak ro

इस जीवन का एक पल, एक घडी का भी विश्वाश नहीं है। 

हैं रे भरोसो एक ही पल रो
Nahin re bharoso ek hi pal ro

इस जीवन का एक पल, एक घडी का भी विश्वाश नहीं है। 

साहिब हमको डर लागे एक दिन रो
Sahib hamko darr laage ek din ro

हमें इसके टूटने का डर लगता है और डर है की हम आपसे नजरें कैसे मिला पाएंगे। 

हिये कायां में माला मोतियन की
Hiye kaaya mein maala motiyan ki

इस तन को मोतियों की माला के तुल्य बताकर इसके महत्त्व को समझाते हुए कबीर साहेब की वाणी है की ऐसा नहीं है की इस तन का महत्त्व कुछ भी नहीं है। इस तन के होते ही हमको साहेब का नाम सुमिरन करना है। यह काया बहुमूल्य है, जरूरत है तो इसके माध्यम से मालिक के नाम के सुमिरन की। 

टूटी जैसे डोरो रूढो तन को
Tooti jaase doro roodho tan ko

जैसे कमजोर हो चूका धागा टूट जाता है वैसे ही साँसों के धागे भी टूट जाने हैं, मोती बिखर जाने हैं। एक एक पल मालिक की याद में गुजरना ही इस जीवन का उद्देश्य है। 

साहिब हमको डर लागे एक दिन रो
Sahib hamko darr laage ek din ro
मालिक, हमको डर लगता है कहीं ये माला टूट ना जाएँ।

कहत कबीरा सुनो भाई साधो
Kahat Kabira suno bhai saadho
पहला है नाम अलख रो
Pehla hai naam alakh ro
साहिब हमको डर लागे एक दिन रो
Sahib hamko darr laage ek din ro

कबीर साहेब कहतें हैं की पहला नाम 'अलख' ईश्वर का ही है। उसका सुमिरन की इस जीवन का आधार / उद्देश्य है।
 

हिये काया में बर्तन माटी रो
हिये देहि में….बर्तन माटी रो
फूटे जद नही कर रणको
हो.. फूटे जद नही कर रणको
साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
हिये काया में बर्तन माटी रो
हिये काया में….
हिये काया में……..
हिये काया में बर्तन माटी रो
फूटी जस नही कर रणको
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
ऐक ही रे दिन रो, घड़ी पलक रो
ऐक ही रे दिन रो
घड़ी पलक रो,नही भरोसों ऐक ही पल रो
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
हिये काया में……..
हिये काया में माला मोतीं की
माला मोतीं की….माला मोतीं की
हिये काया में माला मोतीं की
टूटी जस दोरो रूड़ो तन को
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
ऐक ही रे दिन रो, घड़ी पलक रो
ऐक ही रे दिन रो……..
किया मारो तो ऐक ही पल को
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
कबीरा……..
कहते कबीरा..
कहते कबीरा सुनो मेरे साधो
पहला है नाम अलख रा
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन को
हिये काया में बर्तन माटी रो
हिये देहि में….बर्तन माटी रो
फूटे जद नही कर रणको
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
अरे साहेब हमको डर लागो ऐक दिन रो
Hiye kaaya mein bartan maati ro
Hiye dehi mein bartan maati ro
Phooti jaase nahin kare ranako
Sahib hamko darr laage ek din ro

Ek hi din ro, ghadi palak ro
Nahin re bharoso ek hi pal ro
Sahib hamko darr laage ek din ro

Hiye kaaya mein maala motiyan ki
Tooti jaase doro roodho tan ko
Sahib hamko darr laage ek din ro

Hiye kaaya mein haat bajaara
Sauda kari le ho roodho pal ro
Sahib hamko darr laage ek din ro

Hiye kaaya mein vaadi phuliyan ki
Mriga chari jaaye ho roodho van ro
Sahib hamko darr laage ek din ro

Ek din aavse, sab ne bulaavse
Lekha lese raai til ro
Sahib hamko darr laage ek din ro

Kahat Kabira suno bhai saadho
Pehla hai naam alakh ro
Sahib hamko darr laage ek din ro

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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1 टिप्पणी

  1. अति सुंदर...👌👍😊