जय राधा माधव जय कुन्ज बिहारी

जय राधा माधव जय कुन्ज बिहारी

जय राधा माधव जय कुन्ज बिहारी Jay Radha Madhav Lyrics

जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी
जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी
जय गोपी जन बल्लभ, जय गिरधर हरी
जय गोपी जन बल्लभ, जय गिरधर हरी
जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे

यशोदा नंदन, ब्रज जन रंजन
यशोदा नंदन, ब्रज जन रंजन
जमुना तीर बन चारि, जय कुन्ज बिहारी
जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे

मुरली मनोहर करुणा सागर
मुरली मनोहर करुणा सागर
जय गोवर्धन हरी, जय कुन्ज बिहारी
जय राधा माधव, जय कुन्ज बिहारी
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे




जय राधा माधव जय कुन्ज बिहारी

भक्त का हृदय जब राधा-माधव के प्रेम और लीलाओं में डूबता है, तब वह ब्रज की उस पवित्र भूमि में पहुँच जाता है, जहाँ प्रभु कृष्ण कुंज बिहारी के रूप में गोपियों के साथ रास रचाते हैं। यशोदा के लाल, ब्रजवासियों के रंजन और जमुना तट पर बंसी बजाने वाले गिरधर हरी की लीलाएँ अनंत हैं। उनका मुरली मनोहर स्वरूप और करुणा का सागर भक्तों के मन को मोह लेता है, और गोवर्धन धारण करने वाला उनका बल भक्तों को हर संकट से उबारता है। राधा और कृष्ण का यह युगल स्वरूप प्रेम, भक्ति और आनंद का प्रतीक है, जो भक्त के जीवन को प्रेममयी रंगों से भर देता है। उनका नाम स्मरण करने से हृदय में एक ऐसी मधुरता और शांति का संचार होता है, जो संसार के सारे दुखों को भुला देता है।
 
  • Jai Radha Madhav Mahamantra · Jagjit Singh
  • Jai Radha Madhav Jagjit Singh 
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